चेन्नई/दक्षिण भारत। साल 1960 और 1970 के बाद की तमिल पाठ्यपुस्तकें जो सामान्य उपयोग से बाहर हो गई हैं जल्द ही ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर ऑनलाइन उपलब्ध होंगी। इसके लिए तमिलनाडु पाठ्यपुस्तक और शैक्षणिक सेवा निगम ने 2017 में ही 1,000 पुरानी तमिल किताबों को पुन: प्रकाशित करने और डिजिटलाइज़ करने के लिए एक पांच साल की योजना लागू की थी।
पाठ्यपुस्तक निगम के एक अधिकारी ने बताया कि हम उन किताबों की जल्द ही ऑनलाइन बिक्री शुरू करने जा रहे हैं जो इससे पहले पब्लिक लाइब्रेरी या पुस्तक मेलों में बेची जाती थीं। उन्होंने बताया कि 636 किताबों का पुन: प्रकाशन हो गया है। पुरानी तमिल किताबों को पुन: प्रकाशित करने की यह योजना खोई हुई शब्दावली को पुनर्जीवित करने और तमिल में महत्वपूर्ण तकनीकी किताबों के अनुवाद को समझने में मदद करेगी।
इस योजना में पाठ्यपुस्तक निगम के सलाहकार समिति के सदस्य व सेवानिवृत्त सिविल सेवा अधिकारी उन किताबों को शॉर्टलिस्ट करते हैं जिन्हें पुन: प्रकाशित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि चार दशक पहले तमिल में तकनीकी चीजों को समझने और पढ़ने के संसाधन बहुत अधिक थे। जब यूपीएससी परीक्षा पास की थी तब एकमात्र उम्मीदवार था, जिसके पास तमिल साहित्य में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री थी।
उन्होंने बताया कि यह तब संभव था क्योंकि लाइब्रेरियों में तमिल भाषा में कई किताबें उपलब्ध रहती थीं। तमिल में अकादमिक किताबों के प्रकाशन के लिए 1950-1970 के दौर को ‘स्वर्ण युग’ बताते हुए उन्होंने कहा कि कई किताबों को सीधे तत्कालीन मुख्यमंत्रियों द्वारा जारी किया गया था।
गौरतलब है कि तमिलनाडु सरकार ने 2019 में सीबीएसई छात्रों एवं एनसीईआरटी द्वारा प्रकाशित पाठ्यपुस्तकों को साथ लाने के लिए राज्य बोर्ड स्कूलों की पाठ्यपुस्तकों को नया रूप दिया था। उस समय इन पाठ्यपुस्तकों को लिखने वाले विशेषज्ञों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता था क्योंकि अंग्रेजी में कई तकनीकी शब्दों का सटीक तमिल अनुवाद नहीं मिलता था।
वहीं तमिलनाडु के पाठ्यपुस्तक और शैक्षणिक सेवा निगम के उपनिदेशक टीएस सरवनन ने कहा कि जब उन्होंने अंग्रेजी शब्दों का तमिल में अनुवाद करने पर रोक लगाई तब यह किताबें उनके हाथ लगीं। उन्होंने कहा कि इन किताबों से सरकार को नीट, जेईई और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मदद मिलेगी।