लोग बोले- न सूचना, न नोटिस, ऑनलाइन देखा तो पता चला
चेन्नई/दक्षिण भारत। चेन्नई नगर निगम द्वारा संपत्ति कर में बढ़ोतरी का विरोध किया जा रहा है। इस पर असंतोष जताते हुए टी नगर रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने निगम आयुक्त को ज्ञापन देते कहा कि निगम ने 2020-2021 के लिए संपत्ति कर में चुपके से बढ़ोतरी कर दी है। इसके लिए न तो लोगों को नोटिस दिया है और न ही इसके बारे में सूचना दी गई। जानबूझकर मामले को गुपचुप रखा गया ताकि किसी भी विरोध को दबाया जा सके।
एसोसिएशन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि कई सदस्यों का संपत्ति कर में बढ़ोतरी की ओर ध्यान उस समय गया जब उन्होंने इसे ऑनलाइन चेक किया। उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, ‘निगम ने निवासियों को कोई नोटिस नहीं दिया। भले ही बढ़ोतरी कम मूल्यांकन वाली संपत्तियों के पुनर्मूल्यांकन से संबंधित हो, लेकिन उसे सूचित करना चाहिए था।’
एसोसिएशन ने निगम से 2020-2021 की अवधि के लिए प्रभावित कर की वृद्धि को वापस लेने का आग्रह किया जब तक कि समिति अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करती। बता दें कि कई महीने पहले, सरकार ने निवासियों द्वारा विसंगतियों के बारे में शिकायत करने के बाद दो साल पहले की गई संपत्ति कर वृद्धि में कमी का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन किया था।
क्या कहते हैं अधिकारी?
दूसरी ओर, चेन्नई नगर निगम के एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि जब संपत्तियों का पुनर्मूल्यांकन किया जाता है, तो उनके मालिकों को एसएमएस से सूचनाएं भेजी जाती हैं। अधिकारी ने कहा, ‘जीआईएस सर्वेक्षण के दौरान पहचानी गईं कुल 1.5 लाख इमारतों में से 50,000 से अधिक का पुनर्मूल्यांकन पूरा हो चुका है। महामारी के कारण काम लंबित है।’
इस बीच, चालू वित्त वर्ष 2021-2022 के लिए निगम ने केवल लगभग 40 करोड़ रुपए एकत्र किए हैं। एक अन्य अधिकारी ने बताया, ‘पिछले तीन महीनों (अप्रैल से) में, हम केवल 40 करोड़ रुपए एकत्र कर सके, जो बहुत कम है क्योंकि हमारा लक्ष्य सितंबर से पहले 700 रुपए एकत्र करना है। कई वाणिज्यिक प्रतिष्ठान छूट का इंतजार कर रहे हैं, इसलिए वे भुगतान में देरी कर रहे हैं।’