चेन्नई/दक्षिण भारत। तमिलनाडु के कोरोना संसाधन प्रबंधन पर स्वत: संज्ञान लेने के एक महीने बाद मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मामला बंद कर दिया। न्यायालय ने यह पाया कि तीसरी लहर के लिए अभी तक कोई ऐसा वैज्ञानिक आधार नहीं है कि वह बच्चों के लिए अधिक घातक हो सकती है।
न्यायालय के आदेश के अनुसार, ‘दूसरे उछाल से निपटने के लिए आपातकालीन आधार पर विकसित की गईं सुविधाओं को तुरंत नहीं हटाया जाना चाहिए ताकि अगले चार से छह महीनों के भीतर तीसरे उछाल की स्थिति में, उन्हीं मौजूद पर्याप्त सुविधाओं के साथ निपटा जा सके।’
इस आधार पर लिया था स्वत: संज्ञान
बता दें कि 22 अप्रैल को मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की पहली पीठ ने समाचार पत्रों की रिपोर्टों के आधार पर राज्य में दवाओं, बिस्तरों और ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर कमी का स्वत: संज्ञान लिया था।
मंगलवार को जब यह मामला सुनवाई के लिए आया तो पीठ ने कहा कि पूरी स्थिति अब नियंत्रण में है और भविष्य में किसी और उछाल से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों से ऐसा लगता है कि देश उससे ज्यादा तैयार है जब दूसरी लहर आई थी।
पीठ ने क्या कहा?
पीठ ने कहा, दूसरे उछाल के चरम के दौरान कई पहलुओं की निगरानी के लिए न्यायालय का प्रयास था और ऐसा प्रतीत होता है कि स्वत: संज्ञान की कार्यवाही ने कम से कम केंद्र और राज्य सरकारों को एक साथ आने और दवाओं, ऑक्सीजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक मंच प्रदान किया है।
तेज हो टीकाकरण
पीठ ने वकीलों की सराहना की और राज्य व केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि विदेश के लिए हवाई यात्रा करने वालों का टीकाकरण तेज हो। खासकर उन विद्यार्थियों का जो दूसरी खुराक का इंतजार कर रहे हैं।
बिस्तरों के बारे में यह टिप्पणी
पीठ ने कहा, ऑक्सीजन की आपूर्ति को हर तरफ बढ़ाया गया था और उत्पादन क्षमता को सामान्य मानदंड से अधिक और दूसरे उछाल के दौरान चरम मांग के करीब रखा जाना चाहिए। इसी तरह, व्यवस्थित किए गए आपातकालीन बिस्तरों को तुरंत पूर्ववत नहीं किया जाना चाहिए।
पीठ ने केंद्र सरकार के टीकाकरण अभियान में यह देखते हुए भी अपना विश्वास व्यक्त किया कि पूरी पात्र आबादी के टीकाकरण के लिए टीकों की आपूर्ति बढ़ा दी गई है।