चेन्नई/दक्षिण भारत। तमिलनाडु में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान व्यापक संक्रमण के पीछे इस वायरस का डेल्टा संस्करण था। यह जानकारी राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा रविवार को जारी सार्स-सीओवी2 के संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण विश्लेषण की प्रारंभिक रिपोर्ट में सामने आई है।
डेल्टा संस्करण इस लिहाज से भी अधिक चिंताजनक है क्योंकि इसका मूल वायरस की तुलना में ज्यादा तेजी से संचरण होता है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी चिंता के एक प्रकार (वीओसी) के रूप में वर्गीकृत किया है। भारत समेत कई देशों में कोरोना की दूसरी लहर के व्यापक संक्रमण के पीछे यह भी एक वजह माना जाता है।
क्या कहती है रिपोर्ट?
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट कहती है कि दिसंबर, 2020 और मई, 2021 की अवधि में 554 नमूने लेकर जांच की गई। उनमें से 386 यानी 70 प्रतिशत नमूने डेल्टा वेरिएंट (बी.1.617.2) के थे। वहीं, अल्फा संस्करण (बी.1.1.7) के 47 मामले पाए गए जो 8.5 प्रतिशत थे।
डेल्टा वेरिएंट मुख्य रूप से सामुदायिक समूहों (30 प्रतिशत) और पारिवारिक समूहों (23 प्रतिशत) में देखा गया। कुल नमूनों में 96 नमूने बच्चों के थे जिनकी उम्र 12 साल तक थी। उनमें से 73 यानी 76 प्रतिशत में डेल्टा संस्करण पाया गया।