चेन्नई/दक्षिण भारत। तमिल अभिनेता सूर्या शिवकुमार ने शनिवार को नीट को विद्यार्थियों के लिए ‘खतरा’ बताते हुए कहा कि शिक्षा राज्य की जिम्मेदारी और अधिकार होना चाहिए। उन्होंने यह कहते हुए इस परीक्षा को खत्म करने की मांग की कि इससे वंचित समुदायों के विद्यार्थियों और राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वालों का भविष्य बर्बाद हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि मेडिकल प्रवेश में नीट के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए तमिलनाडु सरकार के कदम के समर्थन में सामने आए अभिनेता ने अपने अग्रम फाउंडेशन की ओर से यह बयान जारी किया है। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि फाउंडेशन ने पैनल को पत्र सौंप दिया है।
सूर्या ने जनता से 23 जून से पहले नीट पर अपनी राय प्रस्तुत करने का आग्रह करते हुए कहा, यह जरूरी है कि हम सरकार और नीति निर्माताओं को नीट जैसी परीक्षाओं में चिंताओं के बारे में सही तरीके से अवगत कराते रहें। अन्यथ ऐसी ‘कॉमन’ परीक्षा हमारे बच्चों का भविष्य खराब कर सकती है
क्या बोले सूर्या?
सूर्या ने कहा कि वर्तमान में शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है। उन्होंने इसे राज्य की जिम्मेदारी बनाने का भी आह्वान किया। अभिनेता ने कहा, भारत जैसे देश के लिए जो भाषा और संस्कृति में विविधतापूर्ण है, यह तभी उचित है जब शिक्षा प्रणाली उसके राज्य के हाथों में हो। इसके माध्यम से हम एक स्थायी समाधान देख सकते हैं। मैं राज्य के सभी राजनीतिक दलों से अनुरोध करता हूं कि वे एकजुट होकर शिक्षा को राज्य की जिम्मेदारी और अधिकार बनाने की दिशा में काम करें।
‘शिक्षा संरचना’ का मुद्दा
सूर्या इस फाउंडेशन के संस्थापक हैं, जो वंचित समुदायों के विद्यार्थियों को शैक्षिक सहायता प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करता है। साथ ही राष्ट्रीय शैक्षिक नीति के मुद्दों को लेकर मुखर रहा है।
अपने बयान में, अभिनेता ने कहा कि वंचित समुदायों के विद्यार्थियों से लेकर समृद्ध पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों के लिए शिक्षा बहुत अलग है। इसलिए ऐसी शिक्षा संरचना में, सभी के लिए राष्ट्रव्यापी ‘कॉमन’ प्रवेश परीक्षा आयोजित करना सामाजिक न्याय के विरुद्ध है।