अपनी भाषा से वंचित लोगों को न्याय देगा जम्मू-कश्मीर राजभाषा विधेयक: जी किशन रेड्डी

अपनी भाषा से वंचित लोगों को न्याय देगा जम्मू-कश्मीर राजभाषा विधेयक: जी किशन रेड्डी

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि एक ऐतिहासिक फैसले में, संसद ने जम्मू और कश्मीर राजभाषा विधेयक, 2020 को मंजूरी दे दी, जिसमें कश्मीरी, डोगरी और हिंदी को अंग्रेजी और उर्दू के अलावा केंद्र शासित प्रदेश की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई।

राज्यसभा में जवाब देते हुए रेड्डी ने कहा कि यह विधेयक जम्मू और कश्मीर के लोगों की लंबे समय से की जा रही मांग को पूरा कर रहा है। अधिकांश लोग इन भाषाओं को बोलते हैं। 74 प्रतिशत लोग कश्मीरी और डोगरी बोलते हैं। साल 2011 की जनगणना के अनुसार, एक प्रतिशत लोग उर्दू बोलते हैं।

मंत्री ने यह भी बताया कि 2011 की जनगणना के अनुसार, 2.03 प्रतिशत लोग हिंदी बोलते हैं। चूंकि अधिकांश लोग अपनी भाषा से वंचित हैं, इसलिए यह विधेयक उन्हें न्याय प्रदान करेगा। जम्मू और कश्मीर की स्थानीय भाषाओं को, विधेयक के अनुसार बढ़ावा दिया जाएगा और प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं जैसे गोजरी, पहाड़ी और पंजाबी के विकास के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे।

मंत्री रेड्डी ने कहा, इस प्रावधान को विधेयक में शामिल किया गया है। सरकार पंजाबी, पहाड़ी और गोजरी भाषाओं को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्थानीय भाषाओं के विकास और संवर्धन पर जोर दिया गया है।

जी किशन रेड्डी ने कहा कि यह कदम हमारी पारंपरिक भाषाओं की सुरक्षा में नरेंद्र मोदीजी के नेतृत्व में सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (गुजरात) पुलिसिंग के क्षेत्र में एक गेम चेंजर होगा। संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित, यह अनुसंधान, सीखने और प्रशिक्षण के मानकों को बढ़ाएगा। इस प्रकार यह बेहतर सार्वजनिक सुरक्षा को बढ़ावा देगा।

मंत्री ने कहा कि लोकसभा और राज्य सभा दोनों द्वारा पारित नेशनल फोरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी विधेयक भारत के लिए कानून, अपराध विज्ञान और संबद्ध क्षेत्रों में छात्रों को समृद्ध करने और संवर्धित अनुसंधान के साथ फोरेंसिक विज्ञान में उत्कृष्टता प्रदान करने का अवसर प्रदान करता है।

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