हैदराबाद। शहर में भीख मांग रही एक महिला की आपबीती सुन पुलिस ने उसकी मदद की है। साथ ही महिला द्वारा भीख मांगकर इकट्ठी की गई रकम को उसके नाम से बैंक में जमा करा दिया है। जानकारी के अनुसार, कई वर्षों से भीख मांगकर गुजारा कर रही इस महिला के पास लाखों की रकम मिली है। मामला हैदराबाद के मूसाराम बाग का है। मालूम हुआ है कि परिजनों द्वारा अनदेखी के कारण यह महिला भीख मांगने को मजबूर हुई। उसने पुलिस को बताया कि परिजन लगातार उसकी उपेक्षा कर रहे थे। उन्हें इसकी संपत्ति में हिस्सा तो चाहिए था, लेकिन सेवा कोई नहीं करना चाहता था। हालात की वजह से यह महिला घर छोड़कर हैदराबाद में भीख मांगने लगी।
तरस खाकर की मदद
जब लोगों ने इसे देखा तो उस पर तरस खाकर मदद के तौर पर रुपए देने लगे। इससे महिला का गुजारा चलने लगा। उसने खुद की जरूरतों पर खर्च के बाद बाकी रकम की बचत की। उसके पास कोई बैंक खाता नहीं था, इसलिए वह पूरी रकम अपने पास ही रखती थी। इस तरह उसने काफी पैसा इकट्ठा कर लिया। एक दिन पुलिस इस इलाके में तलाशी अभियान शुरू कर यहां तक पहुंची तो उसे इस महिला से 2 लाख 34 हजार तीन सौ बीस रुपए मिले।
महिला ने यह रकम थैलों के अंदर भर रखी थी। जब पुलिस ने इसके बारे में पूछा तो उसने अपनी दुखभरी दास्तां बयान की। इसे सुनकर पुलिसकर्मियों ने उसकी मदद करने का फैसला किया। उन्होंने स्थानीय बैंक में महिला के नाम से खाता खुलवा दिया। उन्होंने यह रकम उस खाते में जमा करवा दी। इससे उसका पैसा न केवल सुरक्षित रहेगा, बल्कि उसे ब्याज भी मिलेगा।
‘नहीं जाऊंगी घर’
जब महिला से घर जाने के बारे में पूछा गया तो उसने साफ इनकार कर दिया। उसने कहा कि वहां उसकी बेकद्री होती है। बाद में पुलिसकर्मियों ने उसे महिला पुनर्वास केंद्र भेज दिया। पुलिस ने इस महिला का नाम पेंतम्मा बताया है। हालात की वजह से भीख मांगने को मजबूर हुईं पेंतम्मा 2011 से हैदराबाद के मूसाराम बाग इलाके में रह रही थीं। वे आंध्र प्रदेश के नालगोंडा स्थित मिरयालगुडा की मूल निवासी हैं।
पति की मौत के बाद वे दो बेटों पर आश्रित हो गई थीं। उनकी जमीन भी बेटों ने बेच दी। उनके एक बेटे की मौत हो गई और दूसरा घर छोड़कर चला गया। इसके बाद उनका बेहद बुरा वक्त शुरू हो गया। उन्होंने आरोप लगाया कि बहुओं ने बहुत बुरा सलूक किया। वे पेंतम्मा को खाना नहीं देती थीं। लगातार भूख और अपमान सहन करने के बजाय उन्होंने कोई काम करना चाहा लेकिन बुढ़ापे की वजह से उन्हें कहीं नौकरी नहीं मिली। आखिरकार वे भीख मांगने को मजबूर हो गईं।