यातायात प्रबंधन के लिए उन्नत पार्किंग सुविधाओं की दरकार

यातायात प्रबंधन के लिए उन्नत पार्किंग सुविधाओं की दरकार

बेंगलूरु। पिछले दशकों के दौरान बेंगलूरु की अंतरराष्ट्रीय पहचान बनी है और शहर का निरंतर विकास हुआ है लेकिन इसी विकास ने कई प्रकार की चुनौतियां भी दी हैं। विशेषकर यातायात प्रबंधन को लेकर चुनौतियांे का निराकरण न के बराबर हो रहा है। शहर की यातायात चुनौतियांे के समाधान को लेकर बेंगलूरु के पूर्व अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (यातायात) एमए सलीम ने एक अंग्रेजी अखबार के लिए लिखे अपने लेख में कहा है कि बेंगलूरु शहर की महानगरीय संस्कृति, मौसम और कुशल श्रम शक्ति की उपलब्धता ने यहां कई उद्योगों को आकर्षित किया है जो शहर के अभूतपूर्व विकास और आर्थिक उछाल के लिए अग्रणी हैं। हालांकि शहर के आर्थिक विकास पर यातायात दबाव से एक प्रकार का नकारात्मक प्रभाव प़डता है और शहर के लिए नियमित ट्रैफिक जाम रोज की बात बन गया है। सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र में अपेक्षाकृत छोटे निवेश के कारण तेजी से बढती बेंगलूरु की जनसंख्या में परिवहन मांग और आपूर्ति के बीच में अंतर ब़ढ गया है, जिससे शहर में निजी वाहनों में भारी वृद्धि हुई है। इसका अंदाजा इसी आंक़डे से लगाया जा सकता है कि वर्ष-२००१ में शहर में वाहनांे की संख्या मात्र १५.६६ लाख थी जबकि वर्ष-२०१६ में ६६.३१ लाख वाहन हो गए। यानी डेढ दशक के दौरान ५० लाख वाहन बढे जबकि उस अनुरूप न तो स़डकों की चौ़डाई बढी और ना ही नए वैकल्पिक मार्गों का निर्माण हुआ। सलीम लिखते हैं कि शहर में यातायात प्रबंधन के क्षेत्र में सबसे ब़डी बाधा पर्याप्त पार्किंग स्थलों का नहीं होना है। वाहनों की तुलना में पार्किंग स्थलों के न होने का नतीजा है कि अक्सर देखा जाता है कि स़डकों के दोनों ओर वाहनों की पार्किंग की जाती है जो शहर में ट्रैफिक जाम का मूल कारण बनता है। इस समस्या के निराकरण के लिए सलीम शहर में व्यापक पार्किंग नीति के रूप में स्थायी पार्किंग रणनीति विकसित करने की आवश्यकता बताते हैं। सलीम के अनुसार यह ऐसा मामला है जिसे एक रात में हल नहीं किया जा सकता है बल्कि योजनाबद्ध तरीके से लघु, मध्यम और दीर्घकालिक रणनीतियां बनानी होंगी ताकि आवश्यकतानुसार पार्किंग स्थलों का विकास हो। ब्ह्लघु टर्म नीति के तहत सलीम का मानना है कि महत्वपूर्ण एवं भी़डभा़ड वाले क्षेत्रों की स़डकों पर सख्ती पूर्वक किसी भी प्रकार के वाहनों की पार्किंग पर रोक लगनी चाहिए। नो-पार्किंग जोन में नियमों का क़डाई से पालन होना चाहिए और आवासीय क्षेत्रों में व्यावसायिक वाहनों जैसे टैक्सी, मैक्सी, कैब, ट्रक आदि की पार्किंग पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए। साथ ही स़डकों के ट्रैफिक दबाव के अनुसार अलग अलग क्षेत्रों के लिए भिन्न पार्किंग दर पर पे-एंड-पार्क सिस्टम लागू करने की जरुरत है। इससे पार्किंग के निर्धारित क्षेत्र में ही वाहनों की पार्किंग संभव होगी। इसके अतिरिक्त लोगों को पार्किंग स्थलों की उपलब्धता बताने के लिए एप्प लागू करने की जरुरत है। साथ ही पार्किंग स्थलों पर इलेक्ट्रॉनिक मीटरिंग सिस्टम लागू करने से पार्किंग शुल्क की पारदर्शिता बनी रहेगी। मध्यम टर्म नीति के तहत शहर में पार्किंग स्थलों को बढावा देने की दिशा में ध्यान देने की जरुरत है। इसके तहत निजी पार्किंग स्पेस और टर्मिनल का भी विकास करने की जरुरत है ताकि व्यावसायिक एवं आवासीय दोनों प्रकार के क्षेत्रों में पार्किंग क्षेत्रों की उपलब्धता बढेगी। इसी प्रकार नए विकसित होने वाले लेआउटों में यातायात प्रभाव आकलन को आधार बनाकर उसे अनुमोदित करने की जरुरत है। साथ ही एक व्यवस्थित एवं भरोसेमंद सार्वजनिक परिवहन का विकास करने से यातायात चुनौतियांे का निराकरण संभव है। विशेषकर ट्रेन, मेट्रो और बीएमटीसी बसों के स्टॉप के बाद अंतिम गंतव्य तक पहुंचने के लिए सुविधाओं को उन्नत करने की जरुरत है जिससे निजी वाहनों पर निर्भरता में कमी आएगी। इसी प्रकार मेट्रो स्टेशनों और बस टर्मिनलों पर पार्किंग की सुविधा होनी चाहिए। दीर्घकालिक टर्म नीति में शहर में, ब़डी संख्या में मल्टी लेवल कार पार्किंग सुविधाओं का निर्माण करना और डीयूएलटी द्वारा विकसित ‘बेंगलूरु सिटी के लिए पार्किंग एक्शन प्लान’’ का प्रभावी क्रियान्वयन करने की जरुरत है। जो लोग बिना निजी पार्किंग सुविधा के वाहन खरीदते हैं उनके लिए रोड टैक्स में भारी इजाफा करने की जरुरत है। इसी प्रकार रिहायशी इलाकों में अधिक पार्किंग की जगह बनाने के लिए भवन के उप-नियमों में मुफ्त अतिरिक्त फ्लोर एरिया रेसियो (एफएआर) का प्रावधान करना भी एक सुझाव है। सलीम का मानना है कि यातायात प्रबंधन को व्यवस्थित करने के लिए शुरुआती तौर पर लघु टर्म नीति को अपनाया जा सकता है। इसमें न तो किसी प्रकार के वित्तीय निवेश की जरुरत है और ना ही अतिरिक्त श्रम शक्ति के उपयोग की। बीबीएमपी, बीडीए, यातायात पुलिस, नम्मा मेट्रो, रेलवे और बीएमटीसी आदि अगर अपने अधिकार क्षेत्रों में कुछ मामूली बदलाव करें तो उससे ही कई प्रकार के बदलाव आ जाएंगे। इस प्रकार के कुछ बदलावों को अगर अपनाया जाए तो स़डकों का बेहतर उपयोग संभव हो जाएगा और पार्किंग के कारण होने वाले टै्रफिक जाम की समस्या का प्रभावी निराकरण होगा और यह पर्यावरण के लिए हितकर होगा क्योंकि इससे प्रदूषण का स्तर भी घटेगा।

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