बेंगलूरु। एक महत्वपूर्ण सफलता में, सिटी क्राइम ब्रांच (सीसीबी) पुलिस ने पांच धारावाहिक हत्याओं के मामले, जो अप्राकृतिक मौत के चलते रफा-दफा हो गए थे, को सुलझाते हुए सात लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस आयुक्त कार्यालय में हुई एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेन्स में नगर पुलिस आयुक्त प्रवीण सूद ने बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान शेखर (३३), वेंकटेश (४०), कुमार (३७), गणेश (३१), एन नागेन्द्र कुमार (३४), बसवराजू (३४) एवं नागेन्द्र (२५) के रुप में की गई है। उन्होंने बताया कि गिरोह के सदस्यों ने अवैध संबधों के लिए लोगों की हत्या के बाद शव को रेलवे ट्रैक पर रखा जहां ट्रैन आने वाली थी। इस रहस्य से पर्दा तब उठा जब वर्ष २०१४ में शहर के बाहरी इलाके केंगेरी-हेजजाला के बीच रेलवे ट्रैक पर एक शव पाया गया। रेलवे पुलिस ने मामले को अप्राकृतिक मौत के रुप में दर्ज कियाथा। वहीं केंगेरी में जब एक महिला मुनिरत्ना ने अपने पति के वर्ष २०१४ से गायब होने की शिकायत कुछ दिनों पूर्व यहां दर्ज कराई तो उसे रेलवे ट्रैक पर मिले शव की फोटो दिखाई गई। उस फोटो को देखकर मुनिरत्ना ने पहचान लिया कि यह उसके पति की ही फोटो है जो वर्ष २०१४ से लापता है। पुलिस ने जब उससे पूछा कि क्यों इतने वर्ष बाद पुलिस को शिकायत दर्ज कराई तो उन्होंने कहा कि पति पत्नी के झग़डे के चलते नाराज होकर सुरेश चला गया था और मुझे लगा कि वह मुझे छो़डकर कहीं चले गए हैं। जब कुछ समय तक वह नहीं आए तो मैंने उसे छो़ड दिया और दूसरी शादी कर ली। मुनिरत्ना ने बताया कि मेरे पति आत्महत्या करने वालों में से नहीं थे। ऐसा हो ही नहीं सकता कि वह रेल की चपेट में आए हों। जरूर उनके साथ कोई अनहोनी घटी होगी। इस बात को लेकर पुलिस ने वापस प्रकरण की जांच शुरु की।विशेष जांच दल पुलिस का नेतृत्व कर रहे अतिरिक्त पुलिस आयुक्त एस रवि एवं डीसीपी रामनिवास सेपट ने बताया कि मृतक सुरेश के साथ उन लोगों की रंजिश चल रही थी जिन्हें गिरफ्तार किया गया है। रंजिश के चलते इन्होंने उसे मार कर रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया जिससे यह लगे कि उसकी मौत रेल की चपेट में आने से हुई है। पुलिस को पूछताछ में पता चला कि वर्ष २००१ में वेंकटेश एक महिला के प्यार में था लेकिन उसकी शादी यल्लप्पा नामक एक व्यक्ति से हो गई। यलप्पा काम के उपरांत खा-पीकर आने के बाद घर पर अपनी पत्नी को पीटता था। जब यह बात वेंकटेश को मालूम प़डी तो वह यलप्पा से खफा हो गया। वेंकटेश ने शेखर और कुमार नामक व्यक्ति के साथ मिलकर यलप्पा की हत्या कर शव को रेलवे ट्रैक पर डाल दिया। उस समय रेलवे पुलिस को जब शव क्षत-विक्षत अवस्था में मिला तो रेलवे पुलिस ने जांच की लेकिन शव की शिनाख्त नहीं हो पाई और प्रकरण बंद कर दिया गया। यल्लप्पा की हत्या के बाद यलप्पा की पत्नी थो़डे दिन वेंकटेश के साथ रही और बाद में रमेश नामक एक व्यक्ति के साथ अनैतिक संबंध बनाए। इससे गुस्सा होकर वेंकटेश ने वर्ष २००२ में रमेश को अपने आदमियों की मदद से रास्ते से हटा दिया। उसकी हत्या कर शव को केंगेरी के पास रेलवे ट्रैक पर डाल दिया गया। प्रवीण सूद ने बताया कि रेलवे पुलिस ने फिर इस केस को भी शव की शिनाख्त नहीं होने के चलते बंद कर दिया। वर्ष २०१४ में ऐसे ही एक प्रकरण में सुरेश के भाई रमेश की हत्या हो गई थी जिसके चलते सुरेश ने अपने मित्र नागेन्द्र और गणेश को बुलाकर अपने भाई की हत्या करने वाले शेखर की हत्या करने का प्लान बनाया। मगर नागेन्द्र और गणेशकी शेखर के साथ अच्छी दोस्ती थीऔर दोनों ने सुरेश का इरादा शेखर को बता दिया। एक दिन सुरेश शेखर की हत्या करने के इरादे से शेखर के पास गया लेकिन शेखर को इसकी जानकारी पहले से ही थी और उसने अपने दोस्तों की मदद से सुरेश की ही हत्या कर डाली और शव को केंगेरी रेलवे ट्रैक पर डाल दिया। इस बार भी रेलवे पुलिस पहले की तरह शव की शिनाख्त नहीं कर पाई और प्रकरण बंद हो गया। सूद ने बताया कि इन लोगों ने वर्ष २००३ में मणिमुत्तु नामक एक व्यक्ति की हत्या कर शव को एक बोरे में रख झील में फेंक दिया था। वर्ष २०१३ में वीणा नामक एक महिला ने उसके एक दोस्त राघवेन्द्र के साथ संबंध रखने के लिए उसके अपने पति वासु की सुपारी शेखर को दी थी। शेखर एवं उनके दोस्तों ने वासु की हत्या कर शव को रेलवे ट्रैक पर डाल दिया था। पुलिस ने बताया कि इन सात लोगों की गिरफ्तारी के बाद इन पांच हत्याओं की जानकारी प्राप्त हुई है।
प्रवीण सूद ने बताया कि आजकल रेलवे ट्रैक पर अनेक शव प्राप्त हो रहे हैं। इस तरह के प्रकरण खुदकुशी, आत्महत्या या दुर्घटना के हो सकते हैं। पुलिस ने इसके लिए निर्णय लिया है कि बेंगलूरु सिटी में किसी भी अप्राकृतिक मौत के प्रकरण की गंभीरता से जांच करेगी। उन्होंने खेद जताया कि ये सात आरोपी वर्ष 2001 से अपराध में लिप्त थे और इसकी जानकारी पुलिस को नहीं लग पाई।