बेंगलूरु। मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने शुक्रवार को कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीएस येड्डीयुरप्पा का दलितों के घर जाना और वहां भोजन करना पाखंड और सरासर नौटंकी है । सिद्दरामैया ने कहा कि येड्डीयुरप्पा ने दलित के घर जाकर उनके यहां बना खाना खाने की बजाय कथित तौर पर होटल से लाया नाश्ता खाना पसंद किया जो कि छुआछूत है। उन्होंने कहा कि आजकल येड्डीयुरप्पा दलितों के बारे में बोलने लगे हैं लेकिन अपने जीवन में उन्होंने कभी मुख्यमंत्री बनने पर भी दलितों का समर्थन नहीं किया। नरेंद्र मोदी नीत राजग सरकार के तीन वर्ष पूरे होने पर मोदी सरकार की नाकामियां गिनाते हुए संवाददाता सम्मेलन में सिद्दरामैया ने कहा कि येड्डीयुरप्पा दलितों के घर जा रहे हैं लेकिन बाहर से मंगाया हुआ खाना खा रहे हैं। क्या यह छूआछूत नहीं है? उन्होंने कहा कि दलितों ने उनके लिए अपने घर में पुलाव बनाया लेकिन उन्होंने बाहर (होटल) से मंगाए इडली डोसा को तरजीह दी। क्या यह पाखंड नहीं है ? वे नौटंकी और दिखावे के लिए ऐसा कर रहे हैं। अगर उनको लगता है ऐसा कर वे लोगों को मूर्ख बना सकते हैं तो ये उनकी बेवकूफी को दर्शाता है। मोदी सरकार पर हमला करते हुए सिद्दरामैया ने कहा कि उन्होंने अच्छे दिन का वादा किया था। मुझे नहीं पता कि तीन वर्षों में किनके अच्छे दिन आए?
मुख्यमंत्री सिद्दरामैया कई मौकों पर सार्वजनिक रूप से झपकी लेने के कारण शर्मिंदगी झेल चुके हैं। ऐसा ही एक वाकया शुक्रवार को भी सामने आया जिस कारण एक बार फिर सिद्दरामैया आलोचना के शिकार बने हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई ने बाकायदा ट्विट करके सिद्दरामैया को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान झपकी लेते दिखाया है। इससे पहले वो अपनी पहली विधानसभा सत्र के दौरान सोते हुए कैमरे में कैद हो गए थे। सिद्दरामैया शुक्रवार को कर्नाटक कांग्रेस महासचिव और पार्टी के प्रदेश प्रभारी वेणुगोपाल के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद थे। बेंगलूरु में कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रेस कॉन्फ्रेंस चल रही थी। उस समय शीर्ष नेता वेणुगोपाल बोल रहे थे और इसी बीच सिद्दरामैया झपकी लेते हुए नजर आए। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सिद्दरामैया को ओएसए नामक स्लीपिंग डिसऑर्डर है और इससे छुटकारा पाने के लिए वह योग भी करते हैं। हालांकि सिद्दरामैया की तस्वीर वायरल होने पर सोशल मीडिया में लोगों ने सिद्दरामैया और कांग्रेस पर जमकर चुटकी ली।
खाना खाना नौटंकी : सिद्दरामैया
बेंगलूरु। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्ववाली एनडीए सरकार, जिसने शुक्रवार को ही अपने कार्यकाल के तीन साल पूरा किए हैं, पर आरोप लगाया कि वह सभी क्षेत्रों में विफल रही है। संवाददाताओं से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के पूर्व मोदी द्वारा किया ‘अच्छे दिन’’ का वादा अभी भी वादा ही बना हुआ है और अच्छे दिन लाने के सभी वादे देश की जनता के लिए दुःस्वप्न में बदल गए हैं। वेणुगोपाल ने दावा किया कि मोदी सरकार तो यूपीए सरकार द्वारा शुरू की गई मनरेगा, आधार, डीबीटी, निर्मल अभियान, जनानी सुरक्षा योजना, वित्तीय सम्मेलन योजनाएं, जीएसटी आदि जैसे कार्यक्रमों की बदौलत जीवित है। उन्होंने कहा कि मोदी ने यूपीए सरकार की योजनाओं के नामों में मात्र फेर-बदल कर उसका श्रेय ले लिया है। वेणुगोपाल ने कहा कि अप्रत्यक्ष रूप से यूपीए सरकार की जन हितैषी कार्यक्रमों को उन्होंने (मोदी) सराहा है। यह आरोप लगाते हुए कि मोदी शासन के तीन वर्ष किसानों के लिए घोर विपत्ति भरे रहे, वेणुगोपाल ने कहा कि प्रत्येक दिन देश के ३५ किसान आत्महत्या कर रहे हैं और केवल वर्ष-२०१६ में ही देश में १४ हजार किसानों ने आत्महत्या की हैं। द्मब्र््र ब्ह् द्यब्य् द्यह्ज्ख्य्द्य फ्ल्ज्द्मउन्होंने कहा कि मोदी ने वादा किया था कि सत्ता में आने पर वे प्रति वर्ष दो करो़ड नए रोजगार प्रदान करेंगे लेकिन श्रम मंत्रालय के आंक़डों के अनुसार वर्ष-२०१५ में मात्र १.३५ लाख रोजगार सृजित किए गए जो सात वर्षों में सबसे कम हैं। यहां तक कि आईटी सेक्टर में भी नामी एजेंसियों में ४० प्रतिशत रोजगार समाप्त होने की संभावना है और इसे पूरा करने के लिए एनडीए सरकार कोई उपाय नहीं अपनाई है। ख्र्ययत्रह्र झ्द्य ृह्वद्भय्घ्य्द्य द्धढ्ढणय्वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद दलितों पर अत्याचार में ब़ढोतरी हुई है और आरएसएस हिंसा भ़डकाने में जुटा है। वेणुगोपाल ने कहा कि भाजपा को अपनी कार्यशैली में बदलाव लाना चाहिए। मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने कहा कि जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो वे यूपीए सरकार द्वारा पेश किए जीएसटी का विरोध किए थे लेकिन अब उसी पर पूरी वाहवाही बटोरने में लगे हैं। सिद्दरामैया ने कहा कि केन्द्र यह दावा कर रहा है कि १४वें वित्त आयोग के तहत राज्यों को अधिक निधि प्रदान की जाएगी लेकिन वास्तविकता यह है कि केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के लिए प्रदत्त निधि में भारी कटौती कर दी गई है और इसका अतिरिक्त भार राज्यों पर प़ड रहा है क्योंकि राज्य सरकारें उन योजनाओं को बीच में ही नहीं बंद कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने जो वादा किया था, उसे पूरा नहीं कर रही है।