बेंगलूरु/दक्षिण भारत। बेंगलूरु ग्रामीण लोकसभा सीट वर्ष 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई और वर्ष 2009 में यहां पहला चुनाव ल़डा गया। इस सीट से कर्नाटक के मुख्यमंत्री और जनता दल नेता एच डी कुमारस्वामी पहले सांसद थे। इसके बाद से इस सीट पर लगातार 2 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। इसमें 2013 का उपचुनाव भी शामिल है। यह यह देश की ब़डी लोकसभा सीटों में गिनी जाती है। यहां करीब 24 लाख वोटर हैं।
यह सीट वर्ष 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई और वर्ष 2009 में यहां पहला चुनाव हुआ।कनकपुरा लोकसभा क्षेत्र को खत्म कर वर्ष 2008 में हुए परिसीमन में यह सीट बनी थी। इस सीट पर अब तक कुल तीन बार चुनाव में हुए, जिनमें एक बार जनता दल (ए) और दो बार कांग्रेस को जीत मिली। कनकपुरा सीट रहने के दौरान इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल (एस) नेता एचडी देवेगौ़डा ने चुनावी जीत हासिल की थी। इस सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता एमवी चंद्रशेखर मूर्ति पांच बार सांसद रह चुके हैं।
बेंगलूरु ग्रामीण लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल 27.5 लाख की आबादी आती है जिसमें से ग्रामीण आबादी 48 प्रतिशत के लगभग है जबकि आधी आबादी शहरी है। यहां अनुसूचित जाति की आबादी 16 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति की आबादी करीब 2.15 प्रतिशत है। इस सीट में करीब 24 लाख वोटर हैं जिनमें से 12.35 लाख पुरुष और 11.54 लाख महिला वोटर हैं।
इस सीट पर वोक्कलिगा और ओबीसी वोट निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। वर्ष 2014 की मोदी लहर के बीच कांग्रेस जिन सीटों को बचाने में कामयाब रही उनमें बेंगलूरु ग्रामीण की सीट भी शामिल थी। यहां कांग्रेस के डीके सुरेश ने भाजपा के मुनिराजू गौ़डा को 2.31 लाख वोटों से शिकस्त दी थी। सुरेश को 6.52 लाख वोट मिले थे, जबकि गौड़ा को 4.21 लाख वोट हासिल हो सके।
इस सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में करीब 66 फीसदी मतदान हुआ था। उस चुनाव में जनता दल (एस), आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी क्रमश: तीसरे, चौथे औरर पांचवें पायदान पर रही थीं।बेंगलूरु ग्रामीण से सांसद डीके सुरेश (52) लगातार दो बार इस सीट का प्रतिनिधित्व संसद में करते आ रहे हैं। उनका एक बेटा है। सांसद ने 12वीं तक ही प़ढाई की है और पेशे से किसान हैं।
वर्ष 2014 के हलफनामे के मुताबिक सांसद के पास करीब 86 करोड रुपए की संपत्ति है और उनके खिलाफ 8 आपराधिक मामले दर्ज हैं। सुरेश ने सांसद निधि के तहत आवंटित कुल राशि 22.5 करोड़ रुपए का 90 फीसदी अपने संसदीय क्षेत्र के विकास में खर्च किया है। सांसद की लोकसभा में उपस्थिति का रिकॉर्ड अच्छा है और वह 84 फीसदी से ज्यादा उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने सांसद के तौर पर 637 सवाल पूछे और 85 चर्चाओं में हिस्सा लिया।