बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कांग्रेस के साथ कर्नाटक में जनता दल (एस) के गठबंधन का भविष्य कर्नाटक के नेताओं की सलाह के आधार पर कांग्रेस पार्टी के हाई कमान के निर्णय पर निर्भर करेगा। पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल (एस) के अध्यक्ष एचडी देवेगौड़ा ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में स्पष्ट किया कि कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्दरामैया आधिकारिक रूप से विधानसभा में विपक्ष के नेता होंगे, जबकि उनके पुत्र एवं पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी जनता दल के विधायक के रूप में सदन में मौजूद रहेंगे।
देवेगौड़ा ने कहा कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी, जिन्होंने अब पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है, के आदेशों पर कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बनने के लिए सहमत हो गए थे। भविष्य में (गठबंधन का) जो कुछ भी तय होगा, वह उसी पर निर्भर करेगा, जो हाईकमान (कांग्रेस) तय करेगा।
देवेगौड़ा ने संवाददाताओं से कहा, मैं इस विषय में अपने दल के नेताओं की सलाह लेना चाहता हूं। मैं अभी इस पर और टिप्पणी नहीं करना चाहता। उन्होंने स्पष्ट किया कि कुमारस्वामी आधिकारिक तौर पर विपक्ष के नेता नहीं होंगे। येडियुरप्पा की सरकार के तीन साल और आठ महीने के कार्यकाल के दौरान सिद्दरामैया आधिकारिक तौर पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष होंगे, जबकि कुमारवामी सिर्फ अपनी पार्टी के नेता होंगे।
कर्नाटक में कांग्रेस-जद (एस) की सरकार के पतन के एक दिन बाद बुधवार को कुमारस्वामी और गठबंधन के घटक दल कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व गठबंधन के भविष्य पर अप्रतिबद्ध रहा था। कर्नाटक कांग्रेस अध्यख दिनेश गुंडूराव ने भी कहा था कि गठबंधन के जारी रहने पर कोई भी फैसला आलाकमान द्वारा किया जाएगा और प्रदेश इकाई इस मामले पर शीर्ष नेतृत्व का निर्देशों का पालन करेगी।
कांग्रेस और जद (एस) कट्टर विरोधी विचारधारा वाले दल
उल्लेखनीय है कि धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के बावजूद कांग्रेस और जद (एस) को कर्नाटक में कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी माना जाता है। दोनों ने मई 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद राज्य की सबसे बडी पार्टी भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए गठबंधन सरकार बनाने के लिए हाथ मिलाया था। दोनों दलों को हाल के लोकसभा चुनावों में भाजपा से करारी शिकस्त का स्वाद चखना पड़ा था। दोनों पार्टियों को राज्य की कुल 28 लोकसभा सीटों में से सिर्फ एक-एक सीट पर जीत मिली थी, क्योंकि दोनों दलों के जमीनी स्तर के कार्यकर्ता इनके गठबंधन से नाखुश थे।
गठबंधन की चिंताओं और असंतोष ने सरकार की स्थिरता को बार-बार खतरे में डाला और इसके सत्ता में पांच वर्ष तक बने रहने के बारे में सवालिया निशान लगाए। अंतत: गठबंधन के घटक दलों के 15 विधायकों का इस्तीफा गठबंधन सरकार के पतन का कारण बना। इनके इस्तीफे के बाद विधानसभा में बहुमत परीक्षण में कुमारस्वामी ने विपक्षी भाजपा के 105 खिलाफ सिर्फ 99 वोट हासिल किए थे, जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।
बागी मुंबई से लौट आएंगे, तब प्रतिक्रिया दूंगा
आज पत्रकारों से बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में देवेगौड़ा ने कहा कि वह बागी विधायकों द्वारा उनके और उनके बेटे कुमारस्वामी के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर तब प्रतिक्रिया देंगे, जब यह बागी मुंबई से लौटकर कर्नाटक वापस आएंगे। देवेगौड़ा ने कहा, मैं प्रेस से मिलूंगा और उसके बाद प्रतिक्रिया दूंगा।
इस बीच, विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने रविवार को कांग्रेस-जनता दल (एस) के 14 बागी विधायकों को दलबदल विरोधी कानून के तहत विधानसभा की सदस्यता के अयोग्य घोषित कर दिया। इसके साथ ही अयोग्य ठहराए गए विधायकों की कुल संख्या 17 हो गई है। इसका सोमवार को येड्डीयुरप्पा सरकार के विश्वास मत जीतने पर कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा। उधर, पत्रकारों के एक प्रश्न पर भावुक होते हुए देवेगौड़ा ने कहा कि सत्ता में रहते हुए वह कई वफादार पार्टीकर्मियों को सरकारी पद नहीं दे सके। उन्होंने कहा, हम मुश्किल में थे … मैंने उन कार्यकर्ताओं को सरकार में स्थान नहीं दिया जिन्होंने मेरे लिए लड़ाई लड़ी।