बेंगलूरु/भाषा। कर्नाटक में राजनीतिक संकट और फिर अंतत: जद (एस)-कांग्रेस गठबंधन सरकार के गिरने से जुड़ा घटनाक्रम इस प्रकार है:
1 जुलाई: विजयनगर के विधायक आनंद सिंह ने औने-पौने दाम पर 3,667 एकड़ जमीन जेएसडब्ल्यू स्टील को बेचने को लेकर अपनी नाखुशी प्रकट करते हुए विधानसभा से इस्तीफा दिया।
6 जुलाई: कांग्रेस के नौ और जद (एस) के तीन विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय में उनकी गैर—हाजिरी में इस्तीफा सौंपा।
7 जुलाई: मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी अमेरिका यात्रा से लौटे।
8 जुलाई: सभी मंत्रियों ने बागियों को शांत/संतुष्ट करने के वास्ते उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के लिए अपने अपने पार्टी नेताओं को इस्तीफा दिया।
दो निर्दलीय विधायकों- एच नागेश और आर शंकर ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया और सरकार से समर्थन वापस लिया। उन्होंने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया।
9 जुलाई: कांग्रेस ने पार्टी विधायक दल की बैठक बुलाई, 20 विधायक नहीं पहुंचे। एक अन्य विधायक रोशन बेग ने विधानसभा से इस्तीफा दिया।
10 जुलाई: दो और कांग्रेस विधायकों- एमटीबी नागराज और डॉ. के सुधाकर ने इस्तीफा दिया।
17 जुलाई: उच्चतम न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में व्यवस्था दी कि 15 बागी विधायकों को वर्तमान विधानसभा सत्र की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
18 जुलाई: कुमारस्वामी ने विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश किया।
19 जुलाई: राज्यपाल वजूभाई वाला ने शुक्रवार तक ही मुख्यमंत्री को बहुमत साबित करने के लिए दो समयसीमाएं तय कीं। कुमारस्वामी ने निर्देश का उल्लंघन किया। विधानसभा 22 जुलाई तक स्थगित की गई।
23 जुलाई: विश्वास प्रस्ताव गिरा। उसके पक्ष में 99 और विपक्ष में 105 वोट पड़े। 14 माह पुरानी सरकार गिरी।