बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल (एस) की सरकार बनने के बाद से ही किसानों को कर्जमाफी के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। आए दिन वादों के बाद जब बैंक में कर्जमाफी के पैसे आए और कुछ समय के बाद वापस निकल गए तो किसान हैरान हो गए। ऐसा ही मामला यादगिर जिले के सागर गांव में रहने वाले शिवप्पा के बैंक खाते में अप्रैल 2019 के दौरान 43,553 रुपए जमा होने का था।
यह रकम कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की चुनाव से पहले कर्जमाफी स्कीम के तहत जमा की गई थी। वहीं, शिवप्पा ने ३ जून को अपना बैंक खाता चेक किया तो रकम अपने आप ‘गायब’’ हो गई थी। शिवप्पा ही एक मात्र ऐसे किसान नहीं है। बल्कि राज्य के 13,988 किसानों के खातों में चुनाव से पहले कर्जमाफी की रकम आई थी, लेकिन चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद सारे रुपए निकाल लिए गए हैं।
किसानों का आरोप है कि सरकार ने सिर्फ वोट हासिल करने के लिए खातों में पैसे डाले थे और नतीजे आने के बाद सारी रकम निकलवा ली। वहीं कर्नाटक सरकार ने किसानों के आरोपों को बेबुनियाद बताया। उनका कहना है कि विरोधी दल बेबुनियाद और झूठी अफवाह फैला रही है। मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने मंगलवार को ट्वीट में लिखा कि कर्जमाफी की रकम राष्ट्रीयकृत बैंकों में ट्रांसफर की गई थी।
ये बैंक केंद्र सरकार के नियंत्रण में आती हैं। राज्य सरकार द्वारा इस मामले का ऑडिट कराया जाएगा और करो़डों रुपए बचाने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने बताया कि 14 जून को राष्ट्रीयकृत बैंकों के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई गई है, जिसमें इस मुद्दे पर बातचीत की जाएगी। सेटलमेंट एंड लैंड रिकॉर्ड्स के सर्वे कमिश्नर मुनीष मुदगिल के नेतृत्व में कर्जमाफी योजना लागू की गई थी।
उन्होंने बताया कि इसके तहत सिर्फ राष्ट्रीयकृत बैंकों से करार किया गया था। इन बैंकों में 12 लाख किसानों ने कर्जमाफी योजना के लिए आवेदन किया था। वहीं, स्क्रूटनी के बाद बैंकों ने साढे 7 लाख योग्य किसानों का डेटा दिया था, जिन्हें 3,930 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए। राज्य सरकार की एक एजेंसी द्वारा किए गए ऑडिट के मुताबिक, जांच में पाया गया कि बैंकों ने 13,988 अयोग्य किसानों के खातों में भी रकम ट्रांसफर कर दी थी। यह रकम 59.8 करोड़ रुपए थी, जो रिकवर कर ली गई है।