बेंगलूरु/भाषा। कर्नाटक में बृहस्पतिवार को अल्पसंख्यक बहुल कुछ क्षेत्रों में कोरोना वायरस सर्वे करने गई आशा कार्यकर्ताओं से कथित तौर पर बदसलूकी की गई जिसके बाद कर्नाटक सरकार ने नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की है।
दिल्ली के निजामुद्दीन में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम से लौटे लोगों से कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के खतरे के मद्देनजर अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) घर-घर जाकर सर्वे कर रहे हैं।
वायरल हुए एक वीडियो संदेश में कृष्णवेणी नाम की आशा कार्यकर्ता ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य कर्मियों का एक समूह शहर के हेगड़े नगर में गया था। वहां के स्थानीय निवासियों ने समूह के लोगों का घेराव किया, उनके मोबाइल छीन लिए और उनसे दुर्व्यवहार किया।
वीडियो में रोते हुए कृष्णवेणी ने कहा कि वह पिछले 10 दिनों से घर-घर जाकर इस सर्वेक्षण के जरिए लोगों को कोविड-19 के बारे में जागरुक कर रही है और जानकारी इकठ्ठा कर रही है। कृष्णवेणी ने कहा, जैसे ही हम सरायपलया के सादिक इलाके में पहुंचे, एक आदमी हमसे पूछताछ करने लगा। हमने बताया कि हम कोरोना वायरस के बारे में जानकारी लेने आए हैं। उसने हमें तुरंत जाने के लिए कहा और बोला कि कोई जानकारी नहीं दी जाएगी।
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आशा कार्यकर्ता ने कहा कि जल्द ही लोग स्वास्थ्य कर्मियों पर चिल्लाने लगे और उन्हें जाने के लिए कह दिया। उसने बताया, उन्होंने हमारे बैग और मोबाइल फोन छीन लिए और हमें किसी को फोन करने नहीं दिया। मैं पिछले पांच साल से काम कर रही हूं लेकिन ऐसी स्थिति का सामना कभी नहीं किया।
कृष्णवेणी ने बताया कि वे लोग ये भी नहीं बता रहे थे कि उनमें खतरनाक वायरस के संक्रमण के कोई लक्षण हैं या नहीं।घटना की निंदा करते हुए स्वास्थ्य मंत्री बी श्रीरामुलु ने यह वीडियो अपने ट्विटर हैंडल पर साझा किया और लिखा, डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्य कर्मी दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उनकी इज्जत करें। उन पर हमला हुआ तो चुप नहीं बैठूंगा। सावधान।
इस बीच उपमुख्यमंत्री सीएन अश्वथ नारायण ने कृष्णवेणी के घर जाकर उनका हालचाल पूछा। कर्नाटक की महिला एवं बाल विकास मंत्री शशिकला जोली ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि राज्य सरकार इस तरह की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करेगी।