बेंगलूरु/दक्षिण भारत। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कर्नाटक से मराठी भाषी जमीन वापस लेने के बयान पर मुख्यमंत्री येडियुरप्पा ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि ठाकरे की टिप्पणी लोगों में शांति और सद्भाव को बाधित कर सकती है। वहीं कर्नाटक में पार्टी के अन्य नेताओं ने भी इस बयान पर कड़ा विरोध दर्ज किया।
मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा कि इस प्रकार क्षेत्रवाद और भाषावाद की बात देश की एकता के लिए हानिकारक है। मैं इसकी निंदा करता हूं। कर्नाटक में मराठा कन्नडिगों के साथ रह रहे हैं जबकि महाराष्ट्र के सीमावर्ती जिलों में कन्नड़गी मराठों के साथ रह रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की टिप्पणी दर्दनाक है जो मौजूदा सौहार्दपूर्ण वातावरण को बिगाड़ सकती है।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा और संस्कृति के एकीकरण पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का भाषण अप्रिय है। मुझे उम्मीद है कि उद्धव ठाकरे एक सच्चे भारतीय के रूप में संघवाद के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और सम्मान दिखाने के लिए कटिबद्ध है।
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष सिद्दरामैया ने भी कहा कि कर्नाटक की जमीन, पानी और भाषा से जुड़े मामलों का कन्नाडिगा कभी भी समझौता या राजनीतिकरण नहीं करेगा। हमारे राज्य की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।
वहीं जद (एस) नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने भी ठाकरे के बयान पर आपत्ति जताई। इसके अलावा आरडीपीआर मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने कहा कि कन्नडिगा महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में बड़ी संख्या में हैं। ठाकरे को इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक का एक भी इंच नहीं छोड़ा जाएगा। कन्नडिगा महाराष्ट्र में कई स्थानों पर हैं। क्या उन सभी हिस्सों को कर्नाटक में शामिल करना सही है? कर्नाटक-महाराष्ट्र, कर्नाटक-तमिलनाडु, कर्नाटक-केरल और कर्नाटक-आंध्र प्रदेश सभी भाईचारे से रह रहे हैं।