फ्लैट मालिकों की जनहित याचिका पर सरकार को उच्च न्यायालय का नोटिस

फ्लैट मालिकों की जनहित याचिका पर सरकार को उच्च न्यायालय का नोटिस

प्रतीकात्मक चित्र। फोटो स्रोत: PixaBay

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कर्नाटक अपार्टमेंट ऑनरशिप एक्ट, 1972 को लागू करने के लिए बेंगलूरु सिटी फ्लैट ओनर्स एसोसिएशन की जनहित याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।

मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओका की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने रजिस्ट्री इंस्पेक्टर और स्टांप कमीश्नर को 12 फरवरी से पहले आपत्तियों पर बयान दर्ज करने के लिए आदेश दिया है।

याचिका में कहा गया है कि राज्य में सबरजिस्ट्रार के कार्यालय और कानून की मंजूरी के बिना पंजीकरण अधिनियम के प्रावधानों के तहत दस्तावेजों का पंजीकरण कर रहे हैं।

याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय को बताया कि प्रमोटरों और खरीददारों के बीच घोषणा पत्र को लेकर गलतफहमी है कि पंजीकरण के बाद वहां रहने वालों के लिए वेलफेयर एसोसिएशन का गठन किया जाएगा।

इसमें उन्होंने आगे कहा कि एसोसिएशन को कॉ-ऑपरेटिव सोसाइटी रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए कर्नाटक अपार्टमेंट ऑनरशिप एक्ट, 1972 और एक्ट 1975 की धारा 10 के तहत पंजीकरण करना होगा।

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत फ्लेट्स को पंजीकृत करने के लिए राज्य सरकार आईजीआर दोनों ने ही कानूनी मंजूरी के बारे में कोई सार्वजनिक बयान जारी नहीं किया है।

वहीं याचिका में यह भी बताया गया है कि कर्नाटक अपार्टमेंट ऑनरशिप एक्ट की धारा 13 में सेक्शन 3 और 5 प्रत्येक रजिस्टर कार्यालय को रजिस्टर ऑफ डिक्लेरेशन और डीड्स ऑफ अपार्टमेंट्स नाम से इंडेक्स बनाने के लिए कहता है।

राज्य सरकार अगर इस प्रावधान को लागू करना चाहती है तो उसे एक्ट में संशोधन करना होगा। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाते हुए कहा कि स्टांप शुल्क तय करने में कोई समानता नहीं बरती गई है।

याचिकाकर्ताओं ने स्पष्ट तौर पर कहा कि, इस तरह से पंजीकृत करके कॉ-ऑपरेटिव सोसाइटी का गठन करने से भविष्य में प्रमोटर्स और खरीददारों में कई तरह के विवाद खड़े हो सकते हैं।

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