बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक मंत्रिमंडल विस्तार में बेंगलूरु शहर विधायक मुनिरत्ना को जगह नहीं मिलने से इस पर खूब चर्चा हो रही है। इस बात को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिर किस वजह से मुरित्ना मंत्रिमंडल में जगह पाने से वंचित रह गए।
मुख्यमंत्री बीएस येडियुरप्पा समेत भाजपा के किसी भी भाजपा नेता ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि आरआर नगर विधायक को मंत्रिमंडल में क्यों शामिल नहीं किया गया।
मुनिरत्ना जद (एस) और कांग्रेस के उन 17 विधायकों में से थे, जिन्होंने विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर 2019 में भाजपा की सरकार बनाने में मदद की थी। तब येडियुरप्पा ने सार्वजनिक रूप से ऐसे सदस्यों को मंत्री पद देने का वादा किया।
हालांकि यह चर्चा है कि मंत्री की कुर्सी से दूर रहने के पीछे उच्च न्यायालय का वह मामला है जिसका ताल्लुक फर्जी मतदाता पहचानपत्र घोटाले से है।
बता दें कि 2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में आरआर नगर उस वक्त अचानक सुर्खियों में आ गया था जब चुनाव आयोग ने एक अपार्टमेंट में छापा मारा और वहां से निर्वाचन क्षेत्र के 9,000 से ज्यादा मतदाता पहचान पत्र जब्त किए गए।
बाद में सियासी समीकरण बदले और मुनिरत्ना ने बतौर भाजपा उम्मीदवार उपचुनाव लड़ा जिसमें वे 58,000 वोटों के अंतर से जीते। चुनाव नतीजों के बाद उच्च न्यायालय के एक आदेश में कहा गया कि उक्त मामले में आरोप-पत्र की फिर से जांच की जाए।
इसके लिए एक आईपीएस अधिकारी को नियुक्त किया गया है। यह संभावना जताई जा रही है कि रिपोर्ट जल्द ही न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जा सकती है।