उच्च न्यायालय ने बिटकॉइन एटीएम की स्थापना करने पर आपराधिक मामले को किया खारिज

उच्च न्यायालय ने बिटकॉइन एटीएम की स्थापना करने पर आपराधिक मामले को किया खारिज

प्रतीकात्मक चित्र। स्रोत: PixaBay

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में बेंगलूरु में एक बिटकॉइन एटीएम स्थापित करने पर यूनोकॉइन कंपनी के संस्थापकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को खारिज कर दिया है।

न्यायमूर्ति एचपी संधेश की एकल-न्यायाधीश पीठ ने 23 अक्टूबर, 2018 को साइबर अपराध पुलिस द्वारा आरोपी बनाए गए बीवी हरीश और सात्विक विश्वनाथ के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज कर दिया।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 6 अप्रैल, 2018 को जारी किए गए परिपत्र के आधार पर पुलिस द्वारा आरोपियों के खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया था।

उक्त परिपत्र द्वारा आरबीआई ने बैंकों और एनबीएफसी जैसे विनियमित संस्थाओं पर वर्चुअल करेंसी से निपटने और क्रिप्टो करेंसी ट्रेडिंग करने के लिए सेवाएं प्रदान करने से रोक लगा दी थी।

इस मामले में वकील जयदीप रेड्डी और सिरिल प्रसाद अभियुक्त के लिए पेश हुए और उन्होंने इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया बनाम भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (2020) 10सी, 274 के मामले का उल्लेख किया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल करेंसी पर बैन लगाने संबंधी आरबीआई के सर्कुलर पर रोक लगा दी थी।

इस प्रस्तुति पर सरकारी वकील ने भी सहमति जताई। इसके बाद अदालत ने कहा कि इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मामले में माननीय शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित सिद्धांतों को देखते हुए संदर्भित (सुप्रीम कोर्ट) जिसमें माननीय शीर्ष अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि 6 अप्रैल, 2018 को परिपत्र भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए जाने के लिए ज़िम्मेदार है।

इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक के इस परिपत्र को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द कर दिया गया था। इस प्रकार याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती।

तदनुसार कोर्ट ने आदेश दिया कि रिट याचिका की अनुमति है। इन याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर और आरोप पत्र को रद्द किया जाता है। इसके बाद याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही पर भी रोक लगा दी गई है।

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