पिछले साल बेंगलूरु हिंसा सांप्रदायिक अशांति पैदा करने की एसडीपीआई की साजिश: एनआईए आरोप पत्र

पिछले साल बेंगलूरु हिंसा सांप्रदायिक अशांति पैदा करने की एसडीपीआई की साजिश: एनआईए आरोप पत्र

पुलिस का वाहन.. प्रतीकात्मक चित्र. Photo - PixaBay

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने हाल में बेंगलूरु की एक विशेष अदालत में एक आरोपपत्र प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया कि 12 अगस्त, 2020 को शहर में भड़की हिंसा, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) द्वारा देश में सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी।

अगस्त में कांग्रेस विधायक आर अखंड श्रीनिवास मूर्ति के घर और दो पुलिस थानों में, विधायक के भतीजे नवीन द्वारा की गई एक फेसबुक पोस्ट के बाद हमला किया गया था। एनआईए की चार्जशीट में कहा गया है कि एसडीपीआई कैडरों ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में हिंदू देवताओं के लिए अपमानजनक संदेश के साथ उन्हें उकसाया और हिंसा भड़काने के लिए उन्हें टैग किया।

आरोप पत्र में कहा गया है कि बेंगलूरु में एसडीपीआई कुछ मामलों पर केंद्र के फैसलों से नाखुश था, जिनमें अनुच्छेद 370, सीएए/एनआरसी का मुद्दा, बाबरी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, ट्रिपल तालक आदि जैसे फैसले शामिल थे। ऐसे में वे सांप्रदायिक तनातनी और देश में अशांति पैदा करने के लिए किसी अवसर का इंतजार कर रहे थे।

इस आरोपपत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए, कर्नाटक के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि यह एसडीपीआई द्वारा एक साजिश थी। उन्होने कहा कि सोशल मीडिया ऐसे संगठनों के लिए एक आसान उपकरण बन गया है। संवाददाताओं से बात करते हुए बोम्मई ने कहा, सोशल मीडिया के ये हैंडल भारत में ही नहीं, बल्कि बाहर भी हैं। मुझे भरोसा है कि न्याय होगा।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने गृह मंत्रालय के आदेशों के बाद जांच शुरू कर दी है। एनआईए के सूत्रों के मुताबिक एजेंसी ने मामले में 247 लोगों को आरोपी बनाया है और कहा जा रहा है कि मुख्य अभियुक्त फैरोज़ पाशा के एसडीपीआई में शामिल होने के बाद, मोहम्मद शरीफ, मुज़म्मिल पाशा और एसडीपीआई बेंगलूरु के अन्य नेताओं ने आपराधिक साजिश रची।

एनआईए ने कहा, साजिश के तहत फ़िरोज़ पाशा के फेसबुक अकाउंट के माध्यम से हिंदू देवताओं को अपमानित करने और हिंदू समुदाय को भड़काने के लिए कुछ अपमानजनक संदेश पोस्ट करने की योजना बनाई गई थी। यह भी कहा जा रहा है कि षड्यंत्रकारियों ने जानबूझकर 11 अगस्त, 2020 का दिन चुना, क्योंकि यह ‘कृष्ण जन्माष्टमी’ का दिन था, जो हिंदुओं के लिए एक शुभ दिन होता है।

एजेंसी ने कहा कि एसडीपीआई कैडर किसी भी स्थिति का जवाब देने और हिंसक हमले के लिए अपनी योजनाओं को अंजाम देने के लिए अच्छी तरह से तैयार थे। इसी के चलते 11 अगस्त की दोपहर को, फ़िरोज़ पाशा ने एक वीडियो और ऑडियो क्लिप पोस्ट की, जिसमें हिंदू देवी-देवताओं पर निन्दात्मक और पूरी तरह से अपमानजनक टिप्पणी की गई। चार्जशीट में कहा गया है कि फिरोज ने पोस्ट में नवीन को टैग किया और बाद में पैगंबर के खिलाफ इसी तरह के आक्रामक तरीके से जवाब देने के लिए उकसाया।

नवीन के जवाब के बाद, फिरोज ने मुस्लिम समुदाय के सदस्यों और संगठन के नेताओं से उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए संपर्क किया और पुलिस और सरकार पर नवीन के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बनाया। पोस्ट को वॉट्सऐप और अन्य सोशल मीडिया खातों में व्यापक रूप से प्रसारित किया गया था। इसके बाद फिरोज ने केजी हल्ली, डीजे होली पुलिस थानों और पुलिस कर्मियों के अलावा नवीन और मूर्ति के घरों पर हमला करने के लिए एसडीपीआई कैडर और अन्य लोगों को इकट्ठा किया।

हिंसा में चार लोग मारे गए। जबकि कई वाहनों और दुकानों को थानों के भीतर और बाहर आग लगा दी गई। मामले की जांच में लगी पुलिस ने डीजे होली वार्ड के नगरसेवक और कांग्रेस के पूर्व महापौर आर संपत राज पर अपनी ही पार्टी के विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति को राजनीतिक रूप से नुकसान पहुंचाने की साजिश का हिस्सा होने का आरोप लगाया है। गौरतलब है कि पकड़े जाने से पहले कई हफ्तों संपत फरार रहे थे। अब व​ह जमानत पर बाहर है।

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