बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक में कोरोना कर्फ्यू के प्रभावी होने से पहले, मंगलवार को लोग रोजमर्रा की जरूरत की चीजें खरीदने में व्यस्त दिखे। वहीं, घर पहुंचने की जल्दबाजी में रेलवे स्टेशन, केंद्रीय बस अड्डे पर जमघट देखा गया। टोल प्लाजा पर वाहनों की कतारें लगी रहीं और हर कोई अपने गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचने के लिए शीघ्रता कर रहा था।
सब्जी और किराने की दुकानों पर भीड़ उमड़ी। लोग हड़बड़ी में ज्यादा सामान खरीदते पाए गए। हालांकि सरकार की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि सामान की कोई कमी नहीं है और जरूरत की चीजें उपलब्ध कराने के लिए दुकानों को नियमानुसार खोला जा सकेगा, लेकिन इस घोषणा के विपरीत कई लोगों ने आवश्यकता से अधिक सामान इकट्ठा करने को प्राथमिकता दी।
बता दें कि कर्नाटक सरकार ने सोमवार को राज्य में कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए दो सप्ताह के कोरोना कर्फ्यू का ऐलान किया था, जो लागू हो गया है। इसके बाद बेंगलूरु में रहने वाले कई नौकरीपेशा, विद्यार्थियों, परिवारों और आम लोगों ने अपने गांवों का रुख किया।
इसकी वजह से केएसआरटीसी बस स्टैंड पर भीड़ रही। यह नज़ारा देखकर पिछले साल लगाए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की यादें ताजा हो गईं जब शहरोंं और महानगरों में रहने वाले नौकरीपेशा, मजदूर और प्रवासी दूर-दराज एवं अन्य राज्यों में स्थित अपने गांवों को लौटने लगे थे।
पाबंदियों और टीकाकरण का होगा असर
हालांकि इस बार लोगों में वैसी अनिश्चितता नहीं थी। चूंकि देश के पास कोरोनारोधी वैक्सीन हैं और पूर्व में इस वायरस से लड़ने का अनुभव भी है। ऐसे में जब उनसे पूछा गया तो ज्यादातर इस बात को लेकर आश्वस्त दिखे कि मौजूदा पाबंदियों और टीकाकरण से वायरस के प्रसार पर लगाम लगेगी और भविष्य में हालात बेहतर होंगे।