बेंगलूरु। पिछले दो वर्षों के दौरान गंभीर सूखे की स्थिति से जूझ रहे किसानों को ब़डी राहत देते हुए मुख्यमंत्री सिद्दरामैय्या ने बुधवार को २२.२७ लाख किसानों के हित में ५०,००० रुपये फसल ऋण मा़फी की घोषणा की। फसल ऋण मा़फी से उन किसानों को लाभ मिलेगा जिन्होंने सहकारी बैंकों से ऋण लिया है। इसके लिए सरकार को ८१६५ करो़ड रुपये खर्च करने होंगे। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में विभिन्न विभागों के अनुदान की मांग पर बहस का जवाब देते हुए कहा कि इसमें २० जून तक का बकाया ऋण शामिल हैं और इससे राज्य के सभी २२,२७,५०६ किसानों को फायदा पहुंचेगा। दूसरे वर्ष भी गंभीर सूखे के कारण भारी नुकसान उठाने वाले किसान दबाव में आ गए थे। विपक्षी भाजपा और जनता दल (एस) ने फसल ऋण माफी की मांग को निरंतर उठाया था। उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा सहकारी बैंकों से लिए गए कुल बकाया अल्पावधि ऋण १०,७३६ करो़ड रुपये हैं और इसमें ५०,००० रुपये तक के सभी अल्पावधि फसल ऋण मा़फ किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार तत्काल प्रभाव से इस आशय का आदेश जारी करेगी। सिद्दरामैया ने अफसोस जताया कि केंद्र सरकार ने ऋण मा़फी की राज्य सरकार की मांग को नहीं सुना है। सूखे की स्थिति से कर्नाटक में कृषि पर गहरा प्रभाव प़डा और किसान गहरे संकट में थे।उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली पर प्रहार किया तथा कहा कि जेटली ने कहा था कि केंद्र सरकार कृषि ऋण मा़फ नहीं करेगी यदि राज्य चाहें तो अपने संसाधनों का उपयोग कर ऋण मा़फ करें। ऋण मा़फ करने का कर्नाटक सरकार का फैसला उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब सरकारों द्वारा फैसले के बाद किया गया है। उन्होंने कहा कि हालांकि यूपी सरकार ने अपने चुनाव घोषणापत्र में कृषि ऋण मा़फी की घोषणा की थी लेकिन कर्नाटक सरकार ने घोषणा पत्र में न तो यह घोषणा की और न ही वर्तमान बजट में किसी भी राशि को आवंटित किया है। हालांकि यह राज्य पर पर अतिरिक्त भारी बोझ है। उन्होंने कहा सरकार किसानों के कल्याण, दलित, पिछ़डे और दलित समुदायों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है।
राज्य सरकार ने 50,000 रुपए तक के फसल ऋण माफी की घोषणा की
राज्य सरकार ने 50,000 रुपए तक के फसल ऋण माफी की घोषणा की