मवेशी बिक्री पर अदालत के आदेश का होगा पालन : पलानीसामी

मवेशी बिक्री पर अदालत के आदेश का होगा पालन : पलानीसामी

चेन्नई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीसामी ने आज विधानसभा में कहा कि पशु बाजारों में वध के लिए मवेशी बिक्री पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध पर अदालत के आदेश का पालन किया जाएगा। उन्होंने नए कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की विपक्ष की मांग को ठुकरा दिया। द्रमुक नेता एम के स्टालिन ने केंद्र सरकार द्वारा मवेशी बिक्री पर लगाए गए प्रतिबंध का विरोध करते हुए एक प्रस्ताव की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने द्रमुक नेता की मांग पर जवाब देते हुए कहा कि इस संबंध में बहुसंख्य जनता के विचारों को ध्यान में रखा जाएगा। उन्होंने विपक्ष की मांग को स्वीकार करने से इंकार कर दिया।उन्होंने कहा कि यह मामला उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के संज्ञान में है। सरकार इस मामले पर अदालत के फैसले को लागू करेगी। पलानीसामी ने कहा कि तमिलनाडु में पिछले ४० साल से गौ वध पर प्रतिबंध है। केंद्र सरकार के मवेशी मुद्दे वाले प्रावधान को अपनाने के खिलाफ स्टालिन का कहना था कि केंद्र सरकार का यह प्रावधान आजीविका को लेकर संवैधानिक गारन्टी और धर्म की स्वतंत्रता के विरोध में है। पलानीसामी की टिप्पणी के बाद स्टालिन के नेतृत्व में पार्टी विधायक सदन से वाकआउट कर गए।तमिलनाडु में सरकार को समर्थन दे रहे तीन विधायकों ने बूच़डखानों के लिए पशुओं की बिक्री पर रोक लगाने के केंद्र के निर्णय को लेकर विधानसभा में मुख्यमंत्री के पलानीसामी के जवाब पर असंतोष जताते हुए मंगलवार को सदन से बहिर्गमन कर दिया। विधानसभा की कार्यवाई शुरू होने के बाद पशुओं की बिक्री पर रोक को लेकर मुख्यमंत्री के जवाब से नाराजगी जताते हुए विपक्षी दलों द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) और उसके सहयोगी दलों ने सदन से बहिर्गमन कर दिया। इसके तुरंत बाद सरकार को समर्थन दे रहे तीन विधायकों ने भी पलानीसामी के जवाब को लेकर असंतोष जताते हुए बहिर्गमन किया। गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम के बगावत करने के बाद अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम में दरार प़ड गयी थी। पलानीस्वामी को २३४ सदस्यीय विधानसभा में १२२ विधायकों का समर्थन मिला था और उन्होंने सहयोगी दलों के तीन विधायकों के समर्थन से विश्वास मत हासिल किया था जिन्होंने वर्ष २०१६ में अन्नाद्रमुक के चुनाव चिह्न से चुनाव ल़डा था। विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में तीनों विधायकों ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में केंद्र सरकार को यह तय करने का अधिकार नहीं है कि लोगों को क्या खाना चाहिए। पशुओं की खरीद-बिक्री पर किसी किस्म की रोक नहीं होनी चाहिए और राज्य सरकार को केंद्र के फैसले के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए।

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