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द्रमुक ने नीट और एम्स के मुद्दे पर विधानसभा में सरकार को घेरा

द्रमुक ने नीट और एम्स के मुद्दे पर विधानसभा में सरकार को घेरा

चेन्नई। गुरुवार को राज्य विधानसभा सत्र के दूसरे दिन भी विधानसभा में सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष के बीच कई मुद्दों पर गर्मागर्म बहस हुई। मुख्य विपक्षी पार्टी द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने दूसरे दिन की चर्चा के दौरान राज्य सरकार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के मुद्दों पर घेरने की कोशिश की। द्रमुक विधायक के नेहरू ने राज्य में एम्स की स्थापना के बारे में स्पष्टीकरण देने का प्रश्न उठाया तो इसका जवाब देते हुए, स्वास्थ्य मंत्री सी विजय भाष्कर ने कहा कि सरकार राज्य में इस सुविधा की स्थापना के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रही है।उन्होंने कहा कि एम्स की स्थापना केवल विकसित राज्यों में हो सकती है और पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के प्रयासों के कारण ही केंद्र सरकार ने राज्य में एम्स अस्पताल स्थापित करने की मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि एम्स खोलने के लिए केंद्र सरकार ने २०० एक़ड जमीन और अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार को चेंगलपेट, पेरुंदराई, मदुरै, तंजावुर और सेनमंपट्टी में पांच स्थानों का सुझाव दिया गया है। उन्होंने कहा, राज्य सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि केंद्र सरकार को राज्य में एम्स की स्थापना में पूर्ण सहयोग दिया जाए ताकि एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान हमारे हाथों से नहीं निकल सके।इसी तरह, द्रमुक के विधायक थंगम तेन्नअरसू ने स्वास्थ्य मंत्री से नीट के मुद्दे पर सरकार के रुख को स्पष्ट करने के लिए कहा। इसके जवाब में विजया भाष्कर ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता हमेशा नीट के खिलाफ रहीं और इसी तरह सरकार का भी यही रुख है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के समर्थन के साथ, हमने इस प्रवेश परीक्षा के खिलाफ दो विधेयकों को पारित किया है। हालांकि हमें यह जानकारी मिली है कि हमारे द्वारा पारित कराए गए इन विधेयकों को अभी तक केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति के समक्ष अग्रसारित नहीं किया गया है। स्वास्थ्य मंत्री द्वारा दिए गए जवाब पर टिप्पणी करते हुए द्रमुक के वरिष्ठ नेता दुरै मुरुगन ने टिप्पणी की कि विजया भाष्कर ऊंची आवाज में बात तो कर रहे हैं, लेकिन उनके द्वारा कहे जा रहे शब्द हमारी ओर से उठाए गए मुद्दों का किसी भी तरह का समाधान नहीं दे रहे हैं। इसके बाद इसमें हस्तक्षेप करते हुए कानून मंत्री सीवी षन्मुगत ने कहा कि कि द्रमुक को नीट का मुद्दा उठाने का नैतिक अधिकार नहीं है क्योंकि इस प्रकार की प्रवेश परीक्षा शुरु करने का विचार सर्वप्रथम उस समय रखा गया था जब केन्द्र में कांग्रेस की नेतृत्व वाली गठबंधन की सरकार था और द्रमुक भी उस गठबंधन का हिस्सा थी।

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