बेंगलूरु। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जनता और मीडिया की आवाज दबाने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि पत्रकारों को उनके विवेकानुसार लिखने से रोका जा रहा है। गांधी ने कांग्रेस के मुखपत्र ‘नेशनल हेराल्ड’’ के स्मृति संस्करण की शुरुआत के मौके पर कहा कि देश में हजारों पत्रकारों को ऐसी खबरें लिखने से रोका जा रहा है जो वे लिखना चाहते हैं। उन्होंने कहा,‘मैंने उनसे मुलाकात की और उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें चुप कराया जा रहा है।‘ उन्होंने कहा कि दो दिन पहले स्वर्ण मंदिर के अपने दर्शन के दौरान उन्होंने सिखवाद की दो शक्तिशाली अवधारणाओं ’’पीरी’’ और ’’मीरी’’ के बारे में सुना। पीरी का मतलब होता है, सच्चाई की ताकत और मीरी का अर्थ है ताकत की सच्चाई। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि भारत में यही हो रहा है। इन दो ताकतों के बीच असंतुलन हो रहा है। सच्चाई की ताकत की जगह ताकत की सच्चाई ने जगह ले ली है। जो कोई भी सच कहने की कोशिश करता है, जो सच के लिए ख़डा होना चाहता है, उसे किनारे कर दिया जा रहा है। राहुल गांधी ने कहा कि दलितों को पीटा जा रहा है, अल्पसंख्यक भयभीत हैं और पत्रकारों एवं नौकरशाहों को धमकाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दो दिन पहले अपने मध्यप्रदेश के दौरे के दौरान एक पुलिसकर्मी ने उनसे कहा कि उन्हें कुछ ऐसा करने के लिए बाध्य किया गया है जो वह नहीं करना चाहता है। राहुल गांधी ने कहा ‘जब मैंने पुलिसकर्मी से पूछा कि मैं भारत का नागरिक हूं और इसके बाद भी मुझे मध्यप्रदेश में आने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है? आप मुझे किस आधार पर रोक रहे हैं? क्या ऐसा करने के लिए कोई कानून है? इसके बाद उस पुलिसकर्मी ने उन्हें बताया कि इस प्रकार का कोई कानून नहीं है लेकिन उसे उन्हें रोकने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि यही मूलत: पूरे देश में किया जा रहा है। राहुल गांधी ने कहा कि यही उस समय भी हुआ था जब वह उत्तरप्रदेश गए थे और उन्हें उत्तरप्रदेश की सीमा पर रोक दिया गया था।फ्द्बय्घ्य्द्य झ्ख़य् ृय्ज्र््यप्·र्ैंय् ·र्ैंय् फ्य्थ्द्म द्मब्र््रउन्होंने कहा कि महात्मा गांधी छह पत्रिकाओं से जु़डे थे। ’’युवा भारत’’ और ‘हरिजन’’ सभी विषयों पर उनके विचारों के शक्तिशाली वाहक बने। गांधीजी के लिए पत्रकारिता एक समाज सेवा थी। मेरी विनम्र राय यह है कि समाचार पत्र को आजीविका का साधन समझना गलत है। जब एक समाचार पत्र को लाभ कमाने का जरिया समझा जाने लगता है तो इसका परिणाम गंभीर अनियमितताओं के रूप में सामने आता है। उन्होंने कहा कि उन लोगों के लिए यह साबित करने की आवश्यकता नहीं है जिन्हें पत्रकारिता का अनुभव है कि किस प्रकार यह अनियमितताएं ब़डे पैमाने पर हो रही हैं। उन्होंने नेशन हेराल्ड के डिजिटल और प्रिंट प्रकाशन प्रारुप के दोबारा शुरु होने पर प्रसन्नता जाहिर की। उन्होंने कहा ‘मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि यह उन मानकों को बरकरार रखेगा जो जवाहरलाल नेहरु ने अपने समाचारपत्र में शामिल किया था।मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने इस अवसर पर कहा कि देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष के दौरान पत्रकारिता ने काफी प्रभावी भूमिका अदा की थी। इतनी अधिक कि इसे राष्ट्रभक्ति, देशभक्ति और समाजवाद का पर्यायवाची समझा गया। उन्होंने कहा कि नेशनल हेराल्ड हमेशा प्रेस की स्वतंत्रता के मुद्दे को उठाने में अग्रणी रहा और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इसे भारत की आवाज के रुप में जाना गया। इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि वर्ष १९४२ और वर्ष १९४५ के बीच भारत छो़डो प्रस्ताव पारित होने के बाद भारतीय प्रेस पर लगाम लगाने के लिए इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया।इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई आर वाला, मुख्यमंत्री सिद्दरामैया, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी परमेश्वर, नेशनल हेराल्ड के निदेशक ऑस्कर फर्नांडिस और कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद भी मौजूद थे। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन अखबार के संपादक नीलम मिश्रा ने किया।
एक सोवियत कवि का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि सच जब चुप हो जाता है तो वह झूठ बन जाता है। सरकार यही करने का प्रयास कर रही है। वह सबकी आवाज दबाना चाहती है। गांधी ने कहा कि नेशनल हेराल्ड चुप होने वाला नहीं है। उन्होंने कहा,‘कुछ दिन पहले नेशनल हेराल्ड के संपादक मेरे पास आए तो मैंने उनसे कहा कि वह जब कभी भी कांग्रेस, उसके विचारों अथवा मेरे खिलाफ कुछ लिखना चाहें तो बिना डर के लिख सकते हैं। मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी। हम नेशनल हेराल्ड से इसी जज्बे की उम्मीद करते हैं, सच कहे, चुप न रहे और किसी से भी न डरे।‘ कांग्रेस पार्टी ने सोमवार को नेशन हेराल्ड की नवीनीकृत वेबसाइट शुरु कर दी जिसे कुछ वर्ष पहले बंद कर दिया गया था। पार्टी ने इस अखबार के ऑनलाइन संस्करण के लिए बेंगलूरु का चयन किया क्योंेकि यह देश की सूचना तकनीक राजधानी के रुप में जाना जाता है। जल्द ही नेशनल हेराल्ड के प्रिंट संस्करण की शुरुआत भी हो जाएगी। अपने संबोधन में इस अवसर पर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि मीडिया राष्ट्रीय जागरुकता के एक ब़डे हथियार के रुप में उभर कर सामने आया है कि यह व्यापक स्तर पर राष्ट्रवादी राजनीतिक सहभागिता का माध्यम बना है। उन्होंने कहा कि मीडिया लोकतंत्र के आधुनिक विचारों, स्वतंत्रता और समानता के प्रसार का माध्यम था। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी प्रेस देश भर में राष्ट्रवादियों के बीच संवाद स्थापित करने का माध्यम बनकर उभरी है और भारत को एक राष्ट्र के रुप में ढालने में तथा भारतीयों के अंदर एक राष्ट्रीय पहचान की भावना जागृत करने में अहम भूमिका निभाई है। यह विभिन्न राष्ट्रवादी और सामाजिक मुद्दों पर जनता को एकजुट करने में प्रमुख रही है।