चेन्नई। लगभग छह सप्ताह पहले राज्य के डेयरी विकास मंत्री केटी राजन्ेद्र बालाजी ने यह कहकर राज्य में एक नए विवाद को जन्म दे दिया था कि निजी दूध कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाले पैकेटबंद दूध में मिलावट होती है और इसका सेवन करने से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है। केटी राजेन्द्र बालाजी ने इस बात को न सिर्फ कहा था बल्कि कई बार दोहराया भी था। अब इस मुद्दे को लेकर राज्य में दूध बेचने वाली तीन कंपानियांें ने मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और मंत्री के इस बयान के कारण उन्हें हुए नुकसान के बदले मंत्री से मुआवजा दिलवानें की मांग की है। सभी तीनों कंपनियों की ओर से प्रति कंपनी एक करो़ड रुपए के मुआवजे की मांग की गई है। इसके साथ ही इन तीनों कंपनियों ने मद्रास उच्च न्यायालय से अनुरोध किया है कि मंत्री को प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या मास मीडिया में इस प्रकार का बयान देने से रोकने के लिए अंतरिम आदेश जारी किया जाए।उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सीवी कार्तिकेयन के समक्ष राज्य में दूध का व्यापार करने वाली तीन कंपनियों हैटसन, डोडला और विजय डेयरी की ओर से दायर की गई यह याचिका सुनवाई के लिए आई। न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मंत्री को नोटिस जारी कर इस मामले की अगली सुनवाई २७ जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी है। निजी डेयरी कंपनियों ने अपनी याचिका में अदालत को बताया है कि मंत्री की ओर से लगाए गए आधारहीन और बेबुनियाद आरोपों के कारण निजी कंपनियों के कारोबार को भारी क्षति हुई है और इनके द्वारा उत्पादों की विश्वसनीयता प्रभावित हुई है। ज्ञातव्य है कि केटी राजेन्द्र बालाजी ने ३० अगस्त २०१६ को राज्य के डेयरी विकास मंत्री पद की शपथ ली थी। हाल ही में उन्होंने राज्य की निजी दूध विक्र्रेता कंपनियों के खिलाफ अभियान छे़ड दिया था। उन्होंने इस वर्ष २४ मई के बाद छह से अधिक बार इस बात को मीडिया के समक्ष दोहराया था कि निजी दूध कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाले दूध में मिलावट होती है और इनका सेवन करने से गंभीर बीमारी हो सकती है।यह याचिका हैटसन एग्रो प्रोडक्ट लिमिटेड की ओर से इसके प्रबंध निदेश आरजी चंद्रमोहन, डोडला डेयरी लिमिटेड की ओर से इसके प्रबंधक निदेश डोडला सुनील रेड्डी और विजय डेयरी एंड फार्म प्राइवेट लिमिटेड की ओर से इसके प्रबंध निदेशक जयरामन मदन मोहन ने दायर की है। निजी डेययरियों ने संयुक्त रुप से दायर की गई अपनी याचिका में न्यायालय को बताया है कि मंत्री का बयान राज्य के प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ जिससे निजी दूध कंपनियों का व्यापार प्रभावित हुआ। निजी दूध कंपनियों की बिक्री में काफी कमी आई है। तीनों कंपनियों ने कहा है कि अगर न्यायालय द्वारा मंत्री को इस प्रकार के आधाहीन और बेबुनियाद आरोपों को लगाने से मना नहीं किया जाता है तो दूध कंपनियों को और भी अधिक नुकसान उठना प़ड सकता है।कंपनियों ने कहा कि मंत्री द्वारा निजी दूध कंपनियों के खिलाफ की गई इस प्रकार की बयानबाजी उनके आधिकारिक कार्य का हिस्सा नहीं हो सकता है क्योंकि डेयरी विकास विभाग का निजी डेयरियों से कोई लेना देना नहीं है। मंत्री द्वारा दिए गए पूर्ण रुप से आधारहीन है और निजी दूध कंपनियों पर एक हमला है। कंपनियों ने कहा कि मंत्री के इस बयान से निजी दूध कंपनियों को काफी नुकसान हुआ है। कंपनियों ने अदालत से अनुरोध किया है कि मंत्री द्वारा कंपनियों को हुए नुकसान के मद में मंत्री को प्रत्येक कंपनी को २४ प्रतिशत ब्याज दर के साथ १ करो़ड रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया जाए।
निजी डेयरी कंपनियों ने खटखटाया उच्च न्यायालय का दरवाजा
निजी डेयरी कंपनियों ने खटखटाया उच्च न्यायालय का दरवाजा