राज्य को नीट से छूट दिलाने के उपायों पर की गई है चर्चा : स्वास्थ्य मंत्री

राज्य को नीट से छूट दिलाने के उपायों पर की गई है चर्चा : स्वास्थ्य मंत्री

चेन्नई। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सी विजयभाष्कर ने गुरुवार को यहां पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि राज्य सरकार ने राज्य को राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा से छूट दिलवाने के लिए प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार से कई बार मुलाकात की है और उनके समक्ष कई विकल्पों को रखा है। उन्होंने कहा कि हमने नई दिल्ली में इस मुद्दे पर बातचीत के दौरान केन्द्र सरकार से अनुरोध किया कि राज्य को नीट के दायरे से बाहर रखने के लिए अध्यादेश लाने पर विचार किया जाए। अगर ऐसा होता है तो कम से कम दो वर्ष के लिए राज्य के मेडिकल कॉलेजों को नीट से छूट मिल जाएगी।ज्ञातव्य है कि द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) द्वारा लगातार सत्तारुढ अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) पर राज्य को नीट से छूट दिलवाने में नाकाम रहने के कारण हमला बोला जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री सी विजय भाष्कर ने इस संबंध में पत्रकारों द्वारा सवाल किए जाने के बाद कहा कि राज्य सरकार ने राज्य विधानसभा में तमिलनाडु को नीट से बाहर रखने के संबंध में पारित किए गए विधेयक पर केन्द्र सरकार को राजी करने की कोशिश कर रही है हालांकि अभी तक हमें इस संबंध में केन्द्र सरकार से कोई सकारत्मक जवाब नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि हम इस पर राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त करने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इस संबंध में हम अगले दो दिनों में किसी नतीजे पर पहुंच जाएंगे। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार द्वारा पूछे गए प्रश्नों का जवाब भी दिया है।स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एक अध्यादेश को लाने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय से पूर्व अनुमति लेने की जरुरत होती है। गृह मंत्रालय से अनुमति प्राप्त होने के बाद इसे हस्ताक्षर के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाता है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने इस संबंध में अपने विधि विशेषज्ञों से बात की है। विधि विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार के पास मौजूदा समय में तीन प्रकार से नीट से छूट प्राप्त कर सकती है। पहला यह कि इसके लिए राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त की जाए, दूसरा यह कि अध्यादेश लाया जाए या तीसरा और अंतिम यह कि राज्य बोर्ड के विद्यार्थियों को ८५ प्रतिशत आरक्षण दे दिया जाए। हालांकि उन्होंने कहा कि एक ही वर्ष में लाए गए दो कानूनों पर राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त करना मुश्किल है।

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