हाईकोर्ट ने पैरोल पर फरार हुए कैदियों की रिहाई का प्रावधान पूछा

हाईकोर्ट ने पैरोल पर फरार हुए कैदियों की रिहाई का प्रावधान पूछा

बेंगलूरु। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बुधवार को राज्य लोक अभियोजक को निर्देश दिया कि वह तीन महीनों के भीतर विस्तृत विवरण के साथ रिपोर्ट पेश करे कि कर्नाटक जेल अधिनियम और जेल नियम एवं जेल मैनुअल के अनुसार ४२ अभियुक्तों को पैरोल पर रिहा करने की अनुमति देने में जेल अधिकारियों ने कौन से प्रावधान अपनाए जो पैरोल पर बाहर जाने के बाद वे फरार हो गए? न्यायाधीश रवि मलिमठ और न्यायाधीश माइकल चुना की डिविजन पीठ ने हाईकोर्ट द्वारा वर्ष-२०१४ में इस मामले में लिए गए स्वसंज्ञान पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। कोर्ट ने उस समय एक अभियुक्त द्वारा अपनी सजा और सजा के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान पाया था कि वह जेल से पैरोल पर बाहर निकला लेकिन उसके बाद गायब हो गया जिसके बाद हाईकोर्ट ने स्वसंज्ञान लिया था। पीठ ने राज्य लोक अभियोजक पी.एम. नवाज को निर्देश दिया कि इस संबेध में रिपोर्ट पेश करें। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि पैरोल के बाद फरार हुए कैदियों से संबंधित रिपोर्ट अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक से प्राप्त करें जो कोर्ट के पूर्व के निर्देश के अनुसार अधिकारियांे के एक दल के साथ फरार कैदियों को पक़डने की कार्रवाई का नेतृत्व कर रहे हैं। वरिष्ठ वकील बी.वी. आचार्य, जो अदालत में न्यायमित्र के रूप में सहायता कर रहे हैं, ने सुझाव दिया कि अदालत पहले उन प्रावधानों का पता लगाए जो अपराधियों को पैरोल पर रिहा करने से पहले अधिकारियों द्वारा अपनाई गई थी और एक वरिष्ठ अधिकारी को निर्देश दे कि पैरोल की प्रक्रिया अपनाने में किस प्रकार की चूक जेल प्रशासन ने की थी उससे संबंधित पूछताछ करे। हालांकि उन्होंने कहा कि पैरोल पर बाहर आए कैदियों के फरार होने के लिए संबंधित जेल अधिकारी को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है क्योंकि पैरोल देने में नियमों को अपनाया जाता है। ुू ·र्स्ैंख्रर्‍ ृद्ध द्नर्‍ र्ड्डैंद्यय्द्यबाद में पीठ ने कहा कि यह अधिकार नहीं है कि पैरोल पर रिहा होने के बाद किसी अपराधी के फरार हो जाने के लिए जेल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देशन किया जाए लेकिन अदालत को तब कार्रवाई की जरुरत प़डेगी जब अगर जेल अधिकारियों ने पैरोल की अवधि समाप्त होने के बाद जेल में वापस न आने वाले कैदियों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई नहीं की है। वर्ष-२०१४ में जब कोर्ट ने ४२ फरार कैदियों पर स्वसंज्ञान लिया तब पुलिस ने कुछ कैदियों को पक़डने में सफलता पाई। इस दौरान पता चला कि कुछ कैदियों के मौत हो चुकी है। हालांकि अब भी २४ कैदी फरार हैं।

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