निगमों को प्राप्त होने वाले राजस्व में आई वृद्धि

निगमों को प्राप्त होने वाले राजस्व में आई वृद्धि

चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल ही में निगम को निर्देश दिया गया है कि वह समय-समय पर टैक्स की राशि में वृद्धि करें लेकिन नगर निगम के अधिकारियों के सामने एक नई समस्या सिर उठाने लगी है। निगम के अधिकारियों के अनुसार हालांकि निगम को प्राप्त होने वाले राजस्व में वृद्धि देखी जा रही है लेकिन ऑनलाइन माध्यमों से टैक्स का भुगतान करने वाले लोगों की संख्या में काफी कमी देखी जा रही है। शहर में संपत्ति कर दाताआंें की संख्या १२ लाख से अधिक हो चुकी है लेकिन १ अप्रैल से २० अगस्त के बीच मौजूदा वित्तीय वर्ष में सिर्फ ३.८७ लाख लोगों ने ही अपने टैक्स का भुगतान किया है।नगर निगम के मौजूदा कानून के अनुसार संपत्ति कर दाताओं को वर्ष की पहली छमाही के लिए १५ अप्रैल से पहले संपत्ति कर का भुगतान करना है। इस वर्ष पहली छमाही में मात्र २५५ करो़ड रुपए का राजस्व संग्र्रह हुआ है। यह पिछले वर्ष की तुलना में १ अप्रैल से २० अगस्त के बीच प्राप्त हुए राजस्व से अधिक है। पिछले वर्ष इस अवधि में निगम को मात्र २४८ करो़ड रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था। इस वर्ष १.९ लाख से अधिक संपत्त कर का भुगतान निगम के टैक्स कलेक्टरों द्वारा किया गया है जो हाथ में उपकरण लेकर लोगों के घरों और दुकानों में जाकर टैक्स का संग्रह करते हैं। जो टैक्स संग्रह राजस्व कलेक्टरों द्वारा किया गया है वह कुल राजस्व संग्रह का ७५ प्रतिशत है।पिछले वर्ष इस अवधि के दौरान राजस्व कलेक्टरों द्वारा कुल राजस्व संग्रह का मात्र ६६ प्रतिशत राजस्व संग्रह किया गया था। निगम के अधिकारियों के यही चिंता का विषय है कि जहां राजस्व संग्रह में बढोत्तरी हुई है वहीं पहले ऑनलाइन माध्यमों से संपत्ति कर का भुगतान करने वाले करदाताओं की जो संख्या थी उसमें काफी कमी आ गई है। पिछले कुछ वर्षों से ऑनलाइन माध्यमों से संपत्ति कर का भुगतान करने वाले संपत्तिकर दाताओं की संख्या में बढोत्तरी देखी जा रही थी लेकिन अचानक इसमें इतनी ब़डी गिरावट आने के कारणों का पता लगाने के लिए अधिकारियों ने इसका अध्ययन करना शुरु कर दिया है।निगम के आधिकारिक आंक़डों के अनुसार इस वर्ष पहली छमाही में मात्र १४ प्रतिशत संपत्तिकर दाताओं ने ही ऑनलाइन माध्यमों से अपने टैक्स का भुगतान किया है। पिछले वर्ष इस अवधि में ऑनलाइन माध्यमों से संपत्ति कर का भुगतान करने वाले करदाता २० प्रतिशत थे। ई-सेवा केन्द्रों के माध्यम से प्राप्त होने वाले राजस्व भी १५ प्रतिशत से घटकर ११ प्रतिशत हो गया है। ज्ञातव्य है कि ऑनलान संपत्ति कर का भुगतान करने वाले नागरिकों से निगम द्वारा किसी प्रकार का प्रोसेसिंग शुल्क नहीं लिया जाता है इसके बावजूद लोगों द्वारा इस माध्यम का उपयोग नहीं करने के पीछे मुख्य कारण लोगों में अपनी बैंकिंग जानकारी सार्वजनिक होने का डर है।

About The Author: Dakshin Bharat