चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायलय ने सोमवार को राज्य निर्वाचन आयोग को १७ नवम्बर तक राज्य के स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय ने आयोग को १८ सितम्बर तक चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करने का भी निर्देश दिया है। उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी और न्यायाधीश एम सुंदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस संबंध में दायर की गई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को स्थानीय निकाय चुनाव से संबंधित सभी प्रक्रियाओं को १७ नवम्बर तक पूरा करने का निर्देश दिए हंै।उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि आयोग को स्थानीय निकाय चुनाव के सभी उम्मीदवारों द्वारा सौंपे गए शपथपत्र को आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने की आवश्यकता नहीं है। उच्च न्यायालय के ही एकल पीठ ने आयोग के सभी उम्मीदवारों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों के बारे में जानकारी देने के लिए अपनी वेबसाइट पर इन शपथपत्रों को अपलोड करने का निर्देश दिया था। हालांकि आयोग ने सोमवार को उच्च न्यायालय को बताया कि यदि इसके द्वारा सभी शपथपत्रों को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है तो इसके लोड से वेबसाइट के क्रैश होने का डर है जिसके बाद न्यायालय ने कहा कि आयोग को ऐसा करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि न्यायालय ने आयोग को यह निर्देश दिया कि वह सभी उम्मीदवारों के ब्यौरे का मिलान करे और उसके बाद उन पर दर्ज आपराधिक मामलों का ब्यौरा अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित करे। निर्वाचन आयोग ने पिछले वर्ष जारी अधिसूचना रद्द करने के न्यायमूर्ति एन किरुबाकरन के आदेश को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति किरुबाकरन ने आयोग की ओर से २६ सितंबर २०१६ की अधिसूचना को रद्द कर दिया था जिसके मुताबिक स्थानीय निकाय चुनाव १७ और १९ अक्टूबर को होने थे। उन्होंने आयोग को निर्देश दिया था कि वह सभी प्रत्याशियों के आपराधिक इतिहास का खुलासा अनिवार्य रुप से करे। न्यायाधीश ने निर्वाचन आयोग को ३१ दिसंबर २०१६ तक चुनाव करा लेने के भी निर्देश दिए थे। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने न्यायाधीश के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जिसके कारण पिछले वर्ष चुनाव नहीं हो सका था।राज्य सरकार की ओर से सोमवार को मद्रास उच्च न्यायालय को जानकारी दी गई कि स्थानीय निकाय चुनाव को रद्द करने के कारण राज्यकोष को १७५ करो़ड रुपए का नुकसान हुआ है और विभिन्न वार्डों और पंचायतों की सरहदबंदी के कार्य को पूरा करने के लिए अभी भी ४५ करो़ड रुपए का अनुमानित खर्च होने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव नहीं होने के कारण राज्य के विभिन्न निगमों,पंचायतों, नगरपालिकाओं और वार्ड से संबंधित नागरिक कार्यों की जिम्मेदारी इन निकायों के प्रशासकों के ऊपर हैं जिन्हें राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किया गया है। राज्य की विपक्षी पार्टियां काफी लंबे समय से राज्य सरकार से राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव कराने की मांग कर रही है।
उच्च न्यायालय ने निर्धारित की स्थानीय निकाय चुनाव की समय सीमा
उच्च न्यायालय ने निर्धारित की स्थानीय निकाय चुनाव की समय सीमा