चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय परिसर में स्थित लाइट हाउस के नवीनीकृत भवन का शनिवार का सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने किया। शहर में पहली बार फोर्ट सेंट जॉर्ज के परिसर में वर्ष १७९६ में बनाया गया था। इसके बाद दूसरा लाइट हाउस मद्रास उच्च न्यायालय के परिसर में १६१ फिट की ऊंचाई में वर्ष १८४४ मंे किया गया था। यह दूसरा लाइट हाउस वर्ष १८९४ तक कार्य करता रहा और इसके बाद १७५ फिट की ऊंचाई पर तीसरे लाइट हाउस का निर्माण किया गया।मद्रास उच्च न्यायालय भवन के १२५ वर्ष पूरे होने पर अब वर्ष १८४४ और वर्ष १८९४ के बीच कार्य करने वाले लाइट हाउस को नवीकृत करने के बाद नागरिकों के लिए दोबारा खोल दिया गया। इस लाइट हाउस की ऊंचाई १६१ फिट है और यह २० नॉटिकल माइल तक रौशनी फंेकने में सक्षम हैं। इसके निचले में हिस्से में इसका व्यास १६ फिट और ऊपरी हिस्से में इसका व्यास ११ फिट है। इस डोरिक ढांचे वाले लाइट हाउस की नींव की गहराई ५५ फिट है और इसे वर्ष १८४० में ६०,००० रुपए की लागत से तैयार किया गया था। इस लाइट हाउस के निर्माण के लिए पत्थरों को पल्लावरम से लाया गया था और इसका निर्माण कार्य पूरा होने के बाद भी चार वर्षों तक इसने कार्य शुरु नहीं किया था क्योंकि इसमें लगाने के लिए लाइटें नहीं लाई गई थी। वर्ष १८४४ में ही इस लाइट हाउस में लाइट लगाई गई और वर्ष १८४४ को एक जनवरी को आधिकारिक तौर पर इसे खोलने की घोषणा की गई। यह लाइट हाउस भवन मौजूदा समय में भारतीय पुरातत्व विभाग की देखरेख में था। वर्ष २०१३ में इसके नवीनीकरण का कार्य शुरु किया गया। इसके नवीनीकरण पर १ करो़ड रुपए की राशि खर्च की गई है। मद्रास उच्च न्यायालय के भवन के १२५ वर्ष पूरे होने के अवसर पर इसे खोलने की घोषणा की गई है।इस ऐतिहासिक धरोहर को एक बार फिर से नागरिकों के लिए खोलने के मौके पर देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के साथ ही केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रवि शंकर प्रसाद, मद्रास उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी, झारखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश आर भानुमति, राज्य के मुख्यमंत्री ईडाप्पाडी के पलानीस्वामी और न्यायाधीश पीके अग्रवाल उपस्थित थे।
उच्च न्यायालय के नवीनीकृत लाइट हाउस का उद्घाटन हुआ
उच्च न्यायालय के नवीनीकृत लाइट हाउस का उद्घाटन हुआ