सिद्दरामैया के ‘काम की बात’ को बताया मुख्यमंत्री का खोखला घमंड

सिद्दरामैया के ‘काम की बात’ को बताया मुख्यमंत्री का खोखला घमंड

बेंगलूरु। कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता जगदीश शेट्टर ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पिछले तीन सालों में कर्नाटक के इतिहास में राज्य को सबसे अधिक केन्द्रीय धनराशि आवंटित की है लेकिन मुख्यमंत्री सिद्दरामैया आरोप लगा रहे हैं कि राज्य को केंद्रीय आवंटन वंचित किया गया है। संवाददाताओं से बात करते हुए शेट्टर ने कहा कि केन्द्र ने पिछले तीन वर्षों के दौरान कर्नाटक को १.३० लाख करो़ड रुपए का केन्द्रीय आवंटन जारी किया लेकिन सिद्दरामैया गलत तरीके से केन्द्र पर आरोप लगा रहे हैं कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। शेट्टर विस्तार पूर्वक आंक़डा पेश करते हुए कहा कि केन्द्र ने पिछले तीन वर्षों में कर्नाटक को १,२९,८८,४९३.९३ करो़ड रुपए का आवंटन किया है जो एक रिकॉर्ड है। यह आवंटन कर्नाटक के एक वर्ष के बजट से भी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि हम सिद्दरामैया से पूछना चाहंेगे कि इतनी ब़डे केन्द्रीय आवंटन का क्या हुआ और इस आवंटन को कहां खर्च किया गया? भाजपा नेता ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा भारी आवंटन के बावजूद राज्य सरकार पर्याप्त विकास योजनाओं को लागू करने में विफल रही है और मुख्यमंत्री को यह स्पष्ट करना चाहिए कि केंद्रीय निधि कैसे खर्च की गई है? उन्होंने कहा कि केन्द्र ने सिर्फ बेंगलूरु मेट्रो रेल परियोजना के लिए ३६९४ करो़ड रुपए और राज्य की रेलवे परियोजनाओं के लिए ९९८९.७८ करो़ड रुपए जारी किए हैं। शेट्टर ने सिद्दरामैया के ‘काम की बात’’, जिसे वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मन की बात’’ के मुकाबले लाए हैं, का उपहास उ़डाते हुए कहा कि यह कुछ नहीं सिर्फ मुख्यमंत्री का खोखला घमंड है।ृय्स्श्रह्यख्·र्ैं ्यद्मप्ष्ठप्रय् झ्द्य ख्रष्ठप्रय्झ्य्ैंठ्ठष्ठ ·र्ैंय् ख्रय्प्य् ख्यत्रराज्य के भारी उद्योग मंत्री आरवी देशपांडे के उस दावे का भी शेट्टर ने खंडन किया जिसमें शेट्टर ने कहा था कि राज्य में वर्ष-२०१३ में कांग्रेस सरकार आने के बाद कर्नाटक में ३.३४ लाख करो़ड रुपए का औद्योगिक निवेश आया। शेट्टर ने इस दावे को भ्रमित करने वाला बताते हुए कहा कि राज्य में सिर्फ २.४१ लाख करो़ड रुपए का औद्योगिक निवेश आया है। उन्होंने कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार के दौरान ९८० औद्योगिक परियोजनाओं को सरकार ने स्वीकृति दी लेकिन सिर्फ १२५ का कार्यान्वयन हुआ। उन्होंने कहा कि पिछले साढे चार वर्ष के दौरान ६.५५ लाख नए रोजगार का लक्ष्य रखा गया था लेकिन सिर्फ २.६ लाख रोजगार का सृजन हुआ।

About The Author: Dakshin Bharat