चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता के अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के प्रत्याशियों के नामांकन पर्चा दाखिल करने के दस्तावेजों पर उनके अंगूठे का निशान होने के मामले पर सुनवाई की। इस संबंध में द्रवि़ड मुनेत्र कषगम के प्रत्याशी पी सर्वणन ने पिछले वर्ष अन्नाद्रमुक के प्रत्याशी एके बोस के जीतने के बाद याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग के प्रधान सचिव को ६ अक्टूबर को न्यायालय में व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया।अपनी याचिका में सर्वणन ने कहा है कि राज्य के स्वास्थ्य सचिव जे राधाकृष्णन ने जयललिता के उपचार में अहम भूमिका अदा की थी और स्वास्थ्य सचिव द्वारा नियुक्त किए गए एक सरकारी चिकित्सक पी बालाजी ने जयललिता के अंगूठे के निशान को अभिप्रमाणित किया था। उन्होंने न्यायालय को बताया था कि इस अभिप्रमाणित अंगूठे के निशान के आधार पर एके बोस को ‘दो पत्तियों‘ के निशान पर चुनाव ल़डने की अनुमति दी गई थी जिसके कारण इस चुनाव का परिणाम प्रभावित हुआ।बुधवार को जब इस मामले की सुनवाई शुरु हुई तो न्यायाधीश ने कहा कि जयललिता के अंगूठे के निशान को सरकारी चिकित्सक द्वारा अभिप्रमाणित किया गया था। क्या अंगूठे का निशान सरकारी डॉक्टर की मौजूदगी में जयललिता ने उन दस्तावेजों पर लगाया था? क्या चुनाव आयोग ने इस निशान को जयललिता के अंगूठों के निशान से सत्यापित किया था? तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जे. जयललिता की मौत की जांच के लिए तमिलनाडु सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के एक अवकाशप्राप्त न्यायाधीश के नेतृत्व में जांच आयोग का गठन किए जाने के दो दिन बाद अपोलो अस्पताल ने बुधवार को कहा कि वे जांच में पूरा सहयोग करेंगे। जयललिता को अस्वस्थ रहने के बाद पिछले साल २२ सितंबर को चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ७५ दिन बाद उनकी मौत हो गई।न्यायालय ने निर्वाचन आयोग के प्रधान सचिव को स्वयं व्यक्तिगत रुप से उपस्थित होकर इस संबंध में अगली सुनवाई के दौरान स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया। इस निर्देश के बाद न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 6 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी
जयललिता की उंगलियों के निशान लेने का मामला
जयललिता की उंगलियों के निशान लेने का मामला