नहीं सुलझी परिवहन कर्मचारियों की समस्याएं

नहीं सुलझी परिवहन कर्मचारियों की समस्याएं

चेन्नई। परिवहन कर्मचारियों और सरकार के बीच अभी तक परिवहन कर्मचारियों के मंहगाई भत्ते में सात प्रतिशत की बढोत्तरी करने की मांग पर सहमति नहीं बन सकी है। परिवहन कर्मचारियों के विभिन्न भत्तों का भुगतान भी नहीं किया गया है और परिवहन कर्मचारियों द्वारा इन भत्तों का अविलंब भुगतान करने की मांग कर रहे हैं। सोमवार को परिवहन कर्मचारियों और सरकार के बीच हुई बातचीत में भी इसका कोई हल नहीं निकाला जा सका। अब ऐसा लग रहा है कि परिवहन कर्मचारी ह़डताल पर जा सकते हैं। हालांकि अभी तक परिवहन कर्मचारियों की ओर से इस संबंध में कोई घोषणा नहीं की गई है। अगर परिवहन कर्मचारी ह़डताल पर जाते हैं तो नागरिकों को समस्याओं का सामना करना प़ड सकता है। ·र्ैंद्बश्चघ्य्यद्यद्भह्र ·र्ैंर्‍ द्बय्ैंख्ष्ठ्रद्बय्द्मद्मष्ठ झ्द्य द्धढ्ढष्ठणख्य् द्धह्द्वय्परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार यदि परिवहन कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में सात प्रतिशत की बढोत्तरी की जाती है तो इससे परिवहन विभाग पर सालाना १४४ करो़ड रुपए का अतिरिक्त बोझ बढेगा। विभाग के अधिकारियों के अनुसार विभाग पहले से ही ६,५०० करो़ड रूपए के बोझ तले दबा है और अपने आप को इस आर्थिक संकट से निकालने के लिए यह सरकार से कई बार आर्थिक अनुदान की मांग कर चुका है लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई आर्थिक मदद नहीं दी गई है। ्यप्द्नय्ख् द्मष्ठ फ्द्य·र्ैंय्द्य फ्ष्ठ ·र्ैंर्‍ब्स् फ्यŽफ्ठ्ठर्‍ ·र्ैंर्‍ द्बय्ैंख्परिवहन निगम के विभिन्न यूनियनों के नेता इस संबंध में परिवहन विभाग से बातचीत कर रहे हैं। यूनियनों के नेताओं का कहना है कि नुकसान सिर्फ आठ राज्य परिवहन उपक्रमों से हो रहा है और यह हर बीतते साल के साथ ७०० करो़ड रूपए बढता जा रहा है। सूत्रों के अनुसार मौजूदा समय में परिवहन विभाग ने इस आर्थिक संकट से निकलने के लिए सरकार से कुछ सब्सिडी की मांग भी की है। इसके साथ ही परिवहन विभाग परिवहन निगम को आर्थिक संकटों से निकालने के उद्देश्य से बस स्टैंडों और परिवहन निगम की शाखा कार्यालयों के स्थानों पर निजी सार्वजनिक भागीदारी में वाणिज्यिक कॉम्पलेक्सों का निर्माण कर इसके राजस्व में बढोत्तरी करने की योजना भी बना रहा है। ज्द्ध द्नर्‍ ·र्ैंद्बश्चघ्य्यद्यद्भह्र द्मष्ठ द्बय्ैंख्·र्ैंर्‍ फ्द्य·र्ैंय्द्य द्मष्ठ घ्रुझ् ·र्ैंद्यय् ्यख्रद्भय्परिवहन विभाग में काम करने वाले कुछ कर्मचारियों का मानना है कि जब-जब ईंधन की कीमतों में बढोत्तरी हुई तब-तब सरकार से बस किराए में बढोत्तरी करने का अनुरोध किया गया लेकिन सरकार ने एक न सुनी। जब भी कर्मचारी यूनियनों ने वेतन बढाने और पेंशन तथा उसके बाद के लाभ में वृद्धि करने की मांग रखी, सरकार ने उन्हें यह कह कर चुप करा दिया कि परिवहन निगम पहले से आर्थिक संकट में जूझ रहा है। उल्लेखनीय है कि राज्य की १२ परिवहन यूनियन परिवहन विभाग की समस्याओं का समाधान करने के लिए लगातार एक संयुक्त समिति गठित करने की मांग कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य परिवहन प्रति दिन २.१० करो़ड यात्रियों को अपनी सेवाएं देता है और प्रति दिन ९१.२० किलोमीटर तक बसें परिचालित करता है। परिवहन निगम के अधीन लगभग १.४३ लाख कर्मचारी काम करते हैं।

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