चित्रदुर्गा। लिंगायत को अलग धर्म के रूप में मान्यता देने के लिए राज्य में हो रही रैलियों पर मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने रविवार को कहा कि रैलियों के आयोजन से उनकी सरकार का कोई संबंध नहीं है। उन्हांेने कहा कि लिंगायत और वीरशैव को एक मानने की धारणा उस समुदाय के भीतर का मामला है और हम यह स्पष्ट करते हैं कि इस मुद्दे पर राज्य मंत्रिमंडल में शामिल कुछ मंत्रियों का जो विचार है वह उनकी अपनी निजी राय है। अलग धर्म की मांग को लेकर हो रही रैलियों से सरकार का कोई वास्ता नहीं है। लिंगायत रैलियों में ब़डी संख्या में सरकार के मंत्रियों के शामिल होने के एक सवाल पर सिद्दरामैया ने सवालिया लहजे में कहा, क्या मंत्रियों की कोई अपनी राय नहीं होती? क्या यह कोई ऐसा मुद्दा है जो उन्हें मेरी बात सुननी चाहिए? सरकार से संबंधित मामलों पर वे मुझसे परामर्श करते हैं लेकिन जो बातें सरकार से संबंधित नहीं हैं तब उन पर मैं अपना मुंह बंद रख सकता हूं। गौरतलब है कि राज्य में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के ठीक पहले लिंगायतों को हिन्दू धर्म से अलग स्वतंत्र धर्म के रूप में मान्यता देने की मांग जोर पक़ड चुकी है। विशेषकर उत्तर कर्नाटक के जिलों में इस मांग को लेकर कई रैलियां आयोजित हो चुकी हैं जिसमें रविवार को कलबुर्गी मंे आयोजित रैली में एक लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए। वहीं विपक्षी दल भाजपा सहित कई हिन्दूवादी संगठनों का आरोप है कि विधानसभा चुनाव के कारण सिद्दरामैया सरकार एक सोची समझी रणनीति के तहत समाज को बांटने का प्रयास कर रही है जिस कारण लिंगायतों के अलग धर्म की मांग को समर्थन दिया जा रहा है।
लिंगायतों की रैलियों से सरकार का वास्ता नहीं : सिद्दरामैया
लिंगायतों की रैलियों से सरकार का वास्ता नहीं : सिद्दरामैया