चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय ने पिछले साल एक सीट पर हुए उपचुनाव से संबंधित दस्तावेजों पर पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के अंगूठे के निशान को बेंगलूरु के परापन्ना अग्रहारा कारागार में उपलब्ध दिवंगत नेता की उंगलियों के निशान से मिलान करने का शुक्रवार को फैसला किया। न्यायमूर्ति पी वेलमुरुगन ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को जयललिता के अंगूठे के निशान की जानकारियां अदालत को देने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति वेलमुरूगन ने कहा कि परापन्ना अग्रहारा में केंद्रीय कारागार के अधीक्षक और आधार बनाने वाली यूआईडीएआई के क्षेत्रीय अधिकारी आठ दिसंबर तक अदालत को उंगलियों के निशान की जानकारियां उपलब्ध कराए।अदालत तिरुपरनकुंद्रम विधानसभा सीट पर नवंबर २०१६ को हुए उपचुनाव के लिए द्रमुक उम्मीदवार पी सरवनन की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिन्होंने अन्ना द्रमुक के ए. के. बोस के चुनाव को चुनौती दी है। सरवनन ने चुनाव दस्तावेजों की वैधता को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने दलील दी है कि जयललिता की सहमति और जानकारी के बिना उस समय उनके अंगूठे के निशान लिए गए जब वह होश में नहीं थी। याचिकाकर्ता ने बोस के नामांकन पत्र के समर्थन में दायर दस्तावेजों पर जयललिता के बाएं हाथ के अंगूठे के निशान को स्वीकार करने के निर्वाचन आयोग के फैसले पर भी सवाल उठाए हैं। निर्वाचन आयोग ने पिछले महीने कहा था कि उसने अन्ना द्रमुक की प्रेसीडियम के चेयरमैन ई मधुसूदन के एक पत्र के आधार पर दिवंगत नेता के बाएं हाथ के अंगूठे के निशान को स्वीकार किया। आयोग के प्रधान सचिव के. एफ. विल्फ्रेड ने कहा कि पत्र में कहा गया था कि जयललिता बीमार होने के कारण हस्ताक्षर करने की स्थिति में नहीं है और इसलिए उनके बाएं हाथ के अंगूठे के निशान को स्वीकार किया जा सकता है जिसका सत्यापन डॉक्टर ने भी किया है।
अदालत ने जयललिता की उंगलियों के निशान की जानकारी मांगी
अदालत ने जयललिता की उंगलियों के निशान की जानकारी मांगी