बेंगलूरु। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कौंसिल ने दो राज्यों के बीच वस्तुओं या माल के आने-जाने के लिए ई-वे बिल लागू करने की तिथि अगले वर्ष १ फरवरी के स्थान पर १ अप्रैल कर दी। कई राज्य सरकारों ने ई-वे बिल से अपने राजस्व में छीजत होने की आशंका जताई है। शनिवार को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जीएसटी कौंसिल की २४वीं बैठक की अध्यक्षता की। इसके बाद उन्होंने वस्तुओं के अंतरराज्यीय आवागमन के लिए ई-वे बिल लागू करने की तिथि ब़ढाने को मंजूरी दे दी। वहीं, १५ जनवरी से कुछ स्थानों पर ई-वे बिल प्रणाली को प्रायोगिक रूप से शुरू किया जाएगा। बिहार के उप मुख्यमंत्री और जीएसटी को क्रियान्वित करने की खातिर बनाए गए आईटी नेटवर्क की निगरानी के लिए गठित मंत्री समूह के अध्यक्ष सुशील कुमार मोदी ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ई-वे बिल के लिए सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) उपलब्ध करवाएगा। इसने कर्नाटक और बिहार के बीच माल के आवागमन के लिए इस प्रकार का नेटवर्क स्थापित कर दिया है। इसके लिए एनआईसी को ४० करो़ड रुपए का फंड दिया गया है और इसे लागू करने की पूरी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। सुशील कुमार मोदी ने बताया कि राज्य सरकारों ने राजस्व चेकपोस्ट हटाए जाने के बाद कई स्थानों पर दो राज्यों के बीच अवैध रूप से माल का आना-जाना हो रहा है। इससे इन राज्यों को ९ हजार करो़ड रुपए तक के राजस्व नुकसान की आशंका है। उन्होंने बताया कि कर्नाटक में इस वर्ष फरवरी में अंतरराज्यीय ई-वे बिल प्रणाली लागू की गई थी। इसके तहत राज्य में एक ही दिन २ लाख ई-वे बिल बने थे। उम्मीद की जाती है कि इसे अन्य राज्यों में भी लागू किए जाने से प्रति दिन ८ से ९ लाख ई-वे बिल बनने लगेंगे। इस बिल प्रणाली से देश के हर राज्य में मालों के अंतरराज्यीय परिवहन में एकरूपता आएगी। उन्होंने इसके साथ ही जो़डा कि ३० जून, २०१८ से पूरे देश में जीएसटी प्रणाली के तहत ई-वे बिल की शुरुआत कर दी जाएगी।
जीएसटी ई-वे बिल लागू करने की तिथि बढ़ाई, अब 1 अप्रैल से होगा लागू
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