चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत को संदिग्ध घोषित करने की मांग के साथ दायर की गई याचिका खारिज कर दी। अधिवक्ता एके वेलन की ओर से दायर की गई यह याचिका सोमवार को जब सुनवाई के लिए मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एमवी मुरलीधरन के सामने आई तो उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग का गठन कर चुकी है ऐसे में यह न्यायालय इस प्रकार की याचिकाओं को स्वीकार नहीं कर सकता है।न्यायालय ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री के किसी भी संबंधी ने अभी तक उनकी मौत को संदिग्ध घोषित करने की मांग के साथ कोई याचिका दायर नहीं की है। इसके साथ ही इस मुद्दे पर कई लोगों द्वारा जनहित याचिकाएं भी दायर की गई थी। विभिन्न लोगों द्वारा इस सबंध में दायर की गई याचिकाओं को भी न्यायालय ने स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। न्यायालय ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह दो सप्ताह के अंदर इस संबंध में अपने तथ्यों को जयललिता की मौत की जांच के लिए गठित आयोग के समक्ष रखे। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में बताया था कि जयललिता ५ दिसंबर २०१६ को मृत घोषित किए जाने से पहले ७४ दिनों तक अस्पताल में भर्ती थी। इस दौरान उनके स्वास्थ्य और उन्हें दिए जा रहे उपचार के बारे में कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की स्थिति के कारण जयललिता की मौत को लेकर संदिग्ध स्थिति पैदा हुई। याचिकाकर्ता ने न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह पुलिस को इस संबंध में संदिग्ध स्थिति में मौत होने का मामला दर्ज करने और इस मामले की जांच शुरु करने का निर्देश दे।
जयललिता की मौत को संदिग्ध घोषित करने संबंधी याचिका खारिज
जयललिता की मौत को संदिग्ध घोषित करने संबंधी याचिका खारिज