दो सुपरस्टारों का सियासी सफर नहीं होगा आसान

दो सुपरस्टारों का सियासी सफर नहीं होगा आसान

चेन्नई। फिल्म अभिनेता एवं राजनेता कमल हासन ने ऐलान किया है कि २१ फरवरी से वह पूरे तमिलनाडु का दौरा शुरू करेंगे। कुछ ही दिनों पहले ही उन्होंने राजनीति में आने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा है कि वह यात्रा के अलावा इसी महीने एक मोबाइल एप्लीकेशन मय्यम व्हिसिल’’ भी जारी करेंगे। इस पर भ्रष्टाचार की शिकायतों सहित कमल हासन के बारे में प्रतिक्रियाएं दी जा सकेंगी, साथ ही उनसे बात भी की जा सकेगी। हाल ही में रजनीकांत ने भी राजनीति में आने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि वर्ष २०२१ में तमिलनाडु की सभी २३४ विधानसभा सीटों पर वह चुनाव ल़डेंगे। एक एंड्रॉयड मोबाइल एप्लीकेशन और वेबसाइट शुरू कर उन्होंने इस दिशा में अपना पहला कदम भी ब़ढा दिया है। उन्होंने ऐसा इसलिए किया है ताकि लोग उनसे जु़ड सकें। इसे ही आगे चलकर पार्टी के रूप में बदला जायेगा, साथ ही जो सदस्य इससे जु़डे होंगे वह उनके राजनीतिक दल में शामिल हो जाएंगे। हालांकि राज्य के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दोनों अभिनेताओं का राजनीतिक सफर आसान नहीं होने वाला है।त्त्श्नद्बरु·र्ैं ·र्ैंह् द्मब्र्‍्र ्यद्बध् फ्·र्ैंर्‍ ब्स् ृझ्ष्ठ्यूय्त्र फ्र्ड्डैंध्त्रय्तमिलनाडु की दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के बाद से उनकी पार्टी में उथल-पुथल देखने को मिल रही है। इससे प्रदेश की राजनीति में अस्थिरता देखने को मिली है लेकिन इसका फायदा मुख्य विपक्षी पार्टी द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) नहीं उठा पाई है। स्टॉलिन द्वारा जयललिता के निधन के बाद से ही लगातार यह प्रयास किया जा रहा है कि वह सत्तारुढ अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) को पीछे छो़ड सके लेकिन आरके नगर उपचुनाव में द्रमुक को करारी हार मिली जिससे नई पार्टियों के लिए यहां एक उम्मीद जगी है। दोनों ही सुपर स्टारों ने कहा है कि वह राजनीति में लोगों की सेवा करने के लिए आए हैं। उन्होंने कहा है कि सियासत के जरिए कुछ पाने के लिए वह इस क्षेत्र में नहीं आ रहे हैं। इससे इतना तो साफ है कि उनके चहेते इस मुहिम में उनके साथ आएंगे क्योंकि पहले भी फिल्मी सितारों ने प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभाई है।ृ्यद्नद्मष्ठत्रय्ृह्र ·र्ष्ठैं फ्य्द्बद्मष्ठ ब्स्र ·र्ैंंश्च झ्श्न·र्ैंय्द्य ·र्ैंर्‍ घ्रुद्मह्र्यत्रद्भय्ैंलेकिन क्या रजनीकांत और कमल की राह सचमुच इतनी आसान है? क्या राजनीति में उनकी कामयाबी के लिए उनके शुभचिंतक, मित्र और फैन क्लब ही काफी हैं? विश्लेषकों का कहना है कि कि ऐसा नहीं है। उनके सामने कई चुनौतियां हैं जैसे कि उन्हें कई स्तर पर पार्टी को आकार देने के लिए काबिल कार्यकर्ताओं की जरुरत प़डेगी। साथ ही इतने ब़डे प्रदेश के हर कोने में अपनी पहुंच बनाने में व़क्त और मेहनत दोनों की दरकार होगी। इन दोनों को यह भी देखना होगा कि यह दोनों ही पार्टियां नई हैं और कहीं यह राज्य में आने वाले चुनाव को चौतरफा न बना दें। अगर ऐसा होता है तो वहां किसे फायदा होगा इसका अनुमान लगाना कठिन होगा। यही नहीं, प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की पूरी कोशिश करेंगी। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि दोनों दल किसी ना किसी के साथ गठबंधन कर सकते हैं।्यख्रद्मय्·र्ैंद्यद्म ज्र्‍त्र त्रह् ख्ॅ झ्द्य त्र्यद्बध् ज्द्मत्रय् झ्द्य झ्स्ट्ठ द्मब्र्‍्र द्धद्मय् झ्य्ॅ ब्स्रहाल के आरके नगर उपचुनाव में शशिकला के भतीजे दिनाकरन ने जीत दर्ज कर सभी को झटका दिया है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि उनमें अभी इतनी क्षमता नहीं है कि वह पूरे प्रदेश में इस तरह का प्रदर्शन कर पाएं। उन्होंने भी नई पार्टी बनाने की ओर इशारा किया है। कह सकते हैं कि राज्य की दोनों ही ब़डी पार्टियों की मौजूदा स्थिति पहले जैसी नहीं है। एक विभाजन से जूझ रही है तो वहीं दूसरी पार्टी के नेता स्टालिन कुछ खास प्रभाव छो़डने में फिलहाल नाकाम रहे हैं। इससे इन दोनों ही अभिनेताओं के लिए कुछ तो संभावनाएं हैं लेकिन इसका असली पता आगामी चुनावों में उनके प्रदर्शन के साथ ही होगा। कमल हासन की स्थिति क्या होगी यह आगामी स्थानीय निकाय चुनाव में पता चलेगा क्योंकि उन्होंेने स्थानीय निकाय चुनाव में अपनी पार्टी के प्रत्याशियों को उतारने की घोषणा की है। हालांकि रजनीकांत के राजनीतिक भविष्य के लिए अगले विधानसभा चुनाव तक इंतजार करना होगा क्योंकि रजनीकांत निकाय चुनावों में अपनी पार्टी की सहभागिता से इंकार कर चुके हैं।

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