विदेशी धरती से उड़ान भरने वाला आखिरी भारतीय उपग्रह होगा जीसैट-11

विदेशी धरती से उड़ान भरने वाला आखिरी भारतीय उपग्रह होगा जीसैट-11

बेंगलूरु। भारत सरकार ने तय कर लिया है कि फ्रेंच गयाना के कौरू से आरियान-५ प्रक्षेपण की पीठ पर च़ढकर अंतरिक्ष का सफर करनेवाला इसका संचार उपग्रह जीसैट-११ विदेशी जमीन से प्रक्षेपित होने वाला अंतिम भारतीय उपग्रह होगा। हालांकि देश अब तक चार टन से अधिक वजनी उपग्रह का प्रक्षेपण अपनी धरती से करने में अब तक तकनीकी रूप से तैयार नहीं है लेकिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने जीएसएलवी एमके-२ का प्रक्षेपण स्वदेशी तकनीक से विकसित क्रायोजेनिक इंजन से करने का निर्णय लिया है। यहां स्थित सेंट्रल पावर रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीपीआरआई) में आयोजित किए जा रहे इंस्टीट्यूट डे समारोह के तहत मंगलवार को जवाहरलाल नेहरू लेक्चर के दौरान जियोसैट प्रोग्राम की निदेशक टीके अनुराधा ने इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जीसैट-११ का वजन ५.७ टन है। यह इसरो द्वारा बनाया गया अब तक का सबसे अधिक वजनी उपग्रह है। इसे फरवरी महीने में पानी जहाज के जरिए फ्रेंच गयाना भेजा जाएगा। इसे आरियान-५ के जरिए अप्रैल में प्रक्षेपित किया जाना है। अनुराधा ने बताया, इसरो ने जीसैट-११ के हर पुर्जे को पूरी तरह जो़ड लिया है और फिलहाल वाइब्रेशन टेबल पर इसकी जांच की जा रही है। यह नए आई-६के बस पर आधारित उपग्रह है और इसमें केयू और केए बैंड फ्रीक्वेंसी वाले ४० ट्रांसपोंडर्स लगे हुए हैं। इनसे १४ गीगाबिट का डाटा अंतरिक्ष से भेजा जा सकता है। यह उपग्रह तमाम संचार तकनीक को काम करने में सक्षम बनाएगा और साथ ही देश के हर कोने में इंटरनेट की सेवा उपलब्ध करवाएगा। उन्होंने कहा कि अब तक भारत में तेज और स्थायी इंटरनेट सेवा उपलब्ध करवाना बेहद कठिन चुनौती रही है। वहीं, जीसैट-११ की मदद से पहा़डी इलाके हों या अंदमान-निकोबार द्वीपसमूह जैसे देश से कटे हुए भूभाग हो, हर जगह तेज इंटरनेट का प्रयोग करना आम जनता के लिए संभव हो सकेगा।

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