दूसरा सर्वाधिक दोपहिया वाहनों वाला शहर बना बेंगलूरु

दूसरा सर्वाधिक दोपहिया वाहनों वाला शहर बना बेंगलूरु

बेंगलूरु। आईटी सिटी बेंगलूरु न सिर्फ भारत में तेजी से बढती आबादी वाले महानगरों में अग्रणी है बल्कि शहर में उसी तेजी से दोपहिया वाहनों की संख्या भी बढ रही है। परिवहन विभाग के ताजा आंक़डों के अनुसार बेंगलूरु में दोपहिया वाहनों की संख्या ५० लाख को पार कर चुकी है और इस प्रकार बेंगलूरु देश में दोपहिया वाहनों की सर्वाधिक संख्या वाला दूसरा शहर बन गया है। नवम्बर-२०१७ तक शहर में पंजीकृत दोपहिया वाहनों की संख्या ५०.१ लाख थी जो बेंगलूरु के कुल वाहनों (७२.३ लाख) की संख्या का ६९ प्रतिशत है। बेंगलूरु में वाहनों की यह संख्या किसी भी अन्य दक्षिण भारतीय शहरों की तुलना में ज्यादा है। देश में बेंगलूरु से ज्यादा दोपहिया वाहन सिर्फ दिल्ली में है जहां पिछले वर्ष मार्च-२०१७ तक ६७.०७ लाख दोपहिया वाहन थे। वहीं दिल्ली और बेंगलूरु की तुलना में मुम्बई में मार्च-२०१७ में सिर्फ १७.७१ लाख दोपहिया वाहन थे जबकि पुणे में इसकी संख्या २४.९६ लाख थी। इसी प्रकार अक्टूबर-२०१६ में हैदराबाद में ३६.२४ लाख दोपहिया वाहन थे जबकि वर्ष-२०१५ की समाप्ति पर चेन्नई में सिर्फ ३६.४५ लाख दोपहिया वाहन थे। ·र्ैंय्द्यह्र ·र्ैंर्‍ फ्ैंद्भय् र्ींु यय्क्व ब्रुंश्चआंक़डों के अनुसार पिछले पांच वर्षों के दौरान बेंगलूरु में १५ लाख से ज्यादा दोपहिया वाहन बढे हैं। वर्ष २०१३-१४ में शहर में दोपहिया वाहनों की कुल संख्या मात्र ३४.८ लाख थी जो वर्ष २०१४-१५ में ३८.४ लाख, वर्ष २०१५-१६ में ४२.२ लाख, वर्ष २०१६-१७ में ४७.३ लाख और नवम्बर-२०१७ में यह संख्या ५०.१ लाख तक पहुंच गई। यानी एक वर्ष से कम समय में ही करीब तीन लाख दोपहिया वाहन बढ गए। विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष २०१३-१४ में बेंगलूरु की स़डकों पर दोपहिया वाहनों की धनत्व प्रति किलोमीटर २६७ था जो वर्ष २०१७-१८ में बढकर ३८५ पहुंच गया है। दोपहिया वाहनों की तुलना में शहर में कारों की संख्या करीब १३ लाख है। हालांकि कारों की संख्या भी तेजी से बढी है क्योंकि ब़डी संख्या में दोपहिया वाहन उपयोगकर्ता अब कार की ओर शिफ्ट हो रहे है जिसे एक खतरनाक ट्रंेड माना जा रहा है। वही परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शहर में दोपहिया वाहनों की संख्या पंजीकृत वाहनों की संख्या से ज्यादा है क्योंकि हजारों ऐसे वाहन हैं जो अन्य शहरों में पंजीकृत हैं लेकिन उनका उपयोग बेंगलूरु में होता है। फ्य्प्श्चज्यद्म·र्ैं झ्यद्यप्ब्द्म झ्रद्भप्डत्र्य् ·र्ैंह् र्स्त्रय्त्र ·र्ैंद्यद्मष्ठ ·र्ैंर्‍ र्ज्ङैंद्यत्रवाहनों की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि का मुख्य कारण शहर में सार्वजनिक परिवहन का प्रभावी एवं सुगम विकल्प न होना माना गया है। विशेषज्ञों के अनुसार बेंगलूरु महानगर परिवहन निगम (बीएमटीसी) और नम्मा मेट्रो की सेवाएं ज्यादा कारगर नहीं हैं। अक्सर देखा जाता है कि बीएमटीसी बसों के इंतजार में यात्रियों का काफी समय बर्बाद होता है। विशेषकर रात नौ बजे के बाद कई रुटों पर न के बराबर बसें चलती हैं। इसी प्रकार मेट्रो नेटवर्क सीमित क्षेत्र में रहने के कारण यह सार्वजनिक परिवहन का पूर्ण समाधान करने में असफल है। मौजूदा समय में शहर में सिर्फ ४२ किलोमीटर का मेट्रो नेटवर्क है और मेट्रो की सेवाएं रात ११ बजे तक ही उपलब्ध है। ऐसे में शहर के आउटर रिंग रोड क्षेत्रों में स्थित आईटी सेक्टरों में काम करने वाले लोगों को आवागमन के लिए दोपहिया या कार ही ज्यादा सुगम विकल्प है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मेट्रो के गतिमान फेज-२ और अन्य चरणों को समयबत्र तरीके से पूरा किया जाए तो आने वाले वर्षों में मेट्रो यात्रियों की संख्या बढेगी जिससे शहर की स़डकों पर दोपहिया वाहन कम हो जाएंगे। मौजूदा समय में बीएमटीसी बसों में रोजाना औसत ५० लाख मुसाफिर करते हैं जबकि करीब ४ लाख यात्री मेट्रो का इस्तेमाल करते हैं। फ्डत्रय् ब्स् ख्रह्झ्यब्द्भय् फ्र्ड्डैंद्यबीएमटीसी बसों और मेट्रो के किराए भी लोगांे की जेब पर बोझ डालते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार एक लीटर पेट्रोल में दोपहिया वाहन से करीब ५० किलोमीटर सफर संभव है जबकि उस अनुपात में बस और मेट्रो का किराया ज्यादा है या लगभग उतना ही खर्च करना प़डता है। साथ ही सार्वजनिक परिवहन उपयोग के बाद अंतिम गंतव्य तक पहुंचने के लिए पैदल सफर करना प़डता है जबकि दोपहिया वाहन उपयोग करने के दौरान यह परेशानी नहीं आती है। इसलिए दोपहिया वाहनों की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि का एक कारण यह भी है।

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