चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने आगामी बोर्ड परीक्षा में अनिवार्य रुप से तमिल परीक्षा देने से रोयापुरम स्थित जीके जैन हायर सेकेंडरी स्कूल के २४ छात्रों को छूट दी है। इस विद्यालय की छात्रा सी प्रिया सिंह और २३ अन्य लोगों द्वारा दायर याचिकाओं को स्वीकार करते हुए न्यायाधीश एएस सेल्वम और एमवी मुरलीधरन की खंडपीठ ने मुख्य शिक्षा अधिकारी और जिला शैक्षिक अधिकारी, चेन्नई द्वारा विद्यार्थियों को अनिवार्य रुप से तमिल परीक्षा देने के आदेश को रद्द कर दिया।याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय को बताया था कि यह सभी विद्यार्थी अपनी प्राथमिक शिक्षा हिंदी माध्यम से पूरी कर चुके हैं। जब उन्हें जीके जैन हायर सेकेंडरी स्कूल में छठी कक्षा में दाखिला दिया गया तो उन्होंने हिंदी में शिक्षा हासिल की। वर्ष २०१५ तक स्कूल में तमिल शिक्षक नहीं थे और वर्ष २०१६ में तमिल शिक्षकों को नियुक्त किया गया। उन्होंने इसी तरह से छात्रों को अन्य राज्यों से पलायन करके यहां पहुंचे विद्यार्थियों के बारे में भी बताया था जिन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा हिन्दी भाषा में की थी।उच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई करते हुए पूर्व में तमिल लर्निंग एक्ट, २०१६ के आधार पर उच्च न्यायालय द्वारा किए गए एक अवलोकन का हवाला देते हुए और इसके पहले जिला शैक्षिक अधिकारी की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद पीठ ने कहा, हम इस बात को मानते हैं कि विद्यार्थियों को आगामी दसवीं की परीक्षा में अनिवार्य रुप से तमिल भाषा विषय की परीक्षा देने से छूट दी जानी चाहिए। न्यायालय ने कहा कि यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो यह इन विद्यार्थियों के साथ अन्याय होगा। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व भी राज्य सरकार द्वारा राज्य के सभी विद्यार्थियों को दसवीं बोर्ड की परीक्षा में तमिल भाषा अनिवार्य किया गया था। हालांकि वर्ष २०१६ में राज्य सरकार ने इस अनिवार्यता को समाप्त कर दिया था लेकिन वर्ष २०१७ में एक बार फिर से यह नियम लागू कर दिया गया। इस नियम को लागू करने के बाद हिन्दी माध्यम से प्राथमि शिक्षा प्राप्त करने वाले या अन्य राज्यों से तमिलनाडु में आने वाले विद्यार्थियों की मुश्किलें बढ गई हैं। गैर तमिल मातृभाषा वाले राज्यों के विद्यार्थी लंबे समय से तमिल भाषा की परीक्षा देने से छूट की मांग कर रहे हैं।
उच्च न्यायालय ने 24 विद्यार्थियों को तमिल परीक्षा से छूट दी
उच्च न्यायालय ने 24 विद्यार्थियों को तमिल परीक्षा से छूट दी