बेंगलूरु। अगर सुप्रीम कोर्ट की अनुमति मिली तो भारतीय निर्वाचन आयोग जल्दी ही मतदाता सूची को आधार नंबरों के साथ जो़डने का काम दोबारा शुरू करेगा। मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत ने शनिवार को यहां १४वें वार्षिक चुनावी और राजनीतिक सुधार सम्मेलन को संबोधित करते हुए इस बात की जानकारी दी है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रैटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने यह सम्मेलन आयोजित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता सूची को आधार से जो़डने के खिलाफ दाखिल की गई एक जनहित याचिका पर विचार करने के बाद अस्थायी तौर पर यह प्रक्रिया रोकने का आदेश दिया था। रावत ने बताया कि आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से यह रोक हटाने की अपील की है। उनके मुताबिक, पिछले तीन महीनों के दौरान ३२ करो़ड मतदाताओं की आधार पहचान संख्या मतदाता सूची से जो़डी जा चुकी है। ५५.५ करो़ड मतदाताओं की आधार संख्या भी मतदाता सूची के साथ जो़डी जाएगी। जैसे ही कोर्ट से इसकी अनुमति मिलती है वैसे ही चुनाव आयोग यह प्रक्रिया दोबारा शुरू कर देगा। राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग को सुझाया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में डाले गए मतों की गणना से पहले उनमें सभी पार्टियों को डाले गए मतों को आपस में मिला दिया जाए और फिर उनकी गणना अलग-अलग की जाए। यह गणना प्रक्रिया उसी तरह विश्वसनीय होगी, जिस तरह बैलट में डाले गए मतों की गणना प्रक्रिया हुआ करती थी। रावत ने बताया कि चुनाव आयोग ने इस सुझाव को स्वीकारते हुए ईवीएम बनाने वाली कंपनी से कहा है कि वह इन मशीनों में ’’टोटलाइजर’’ तकनीक की सुविधा उपलब्ध करवाए। यह तकनीक वर्ष २००८ में मतगणना के दौरान आजमाई गई थी। बहरहाल, यह स्पष्ट किया गया है कि इस तकनीक का प्रयोग आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में नहीं किया जा सकेगा, क्योंकि इस विषय में भी एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है। जब तक कोर्ट की हरी झंडी नहीं मिल जाती है, तब तक चुनाव आयोग इसका व्यावहारिक प्रयोग नहीं कर सकता है। चुनाव आयोग ने भी इस विषय में सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दाखिल किया है। इस जनहित याचिका और आयोग के आवेदन पर १२ मार्च को कोर्ट सुनवाई करेगा। ्यद्मलझ्ूय् घ्रुद्मय्प् ·र्ैंद्यय्द्मय् झ्श्नय्त्र्यद्ब·र्ैंत्रय् द्बष्ठ्र ब्स्कर्नाटक में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में धनबल दुरुपयोग के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में रावत ने कहा कि आयोग की प्राथमिकता राज्य में स्वच्छ, पक्षपातहीन और विश्वसनीय चुनाव करवाना है। इसके लिए आयोग अपनी ओर से हर संभव प्रयास करेगा। वहीं, चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की संभावित तिथि के बारे में पूछे गए एक अन्य प्रश्न का उत्तर देने से रावत ने स्पष्ट इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव कार्यक्रम की गोपनीयता बनाए रखना चुनाव आयोग के लिए बेहद पवित्र कर्तव्य है और इसकी घोषणा सिर्फ मीडिया के सामने ही की जा सकती है। इसके बारे में निर्धारित समय से पहले किसी तरह का सार्वजनिक संकेत नहीं दिया जा सकता है।हाल में एक खबरिया टीवी चैनल के साथ अपने साक्षात्कार का हवाला लेते हुए ओपी रावत ने कहा कि उनकी बातों को चैनल ने कुछ अलग ढंग से समझा। इस साक्षात्कार का प्रसारण करने वाले चैनल ने रावत के हवाले से बताया था कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव १५ अप्रैल से शुरू हो सकता है। इसके साथ ही बताया गया था कि चुनाव कार्यक्रम के अनुसार निर्वाचन आयोग को १८ मई तक मतगणना सहित सभी चुनावी प्रक्रियाएं पूरी करनी हैं ताकि २७ मई तक राज्य में नई सरकार का गठन हो सके। सम्मेलन के दौरान राज्य की चुनावी तैयारियों के बारे में पूछे गए एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि यहां २८ फरवरी को मतदाता सूची प्रकाशित की गई। इसे लगातार अद्यतन किया जा रहा है। अगर इस सूची में किसी प्रकार की गलती हो और संबंधित मतदाता इसके बारे में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को जानकारी दें तो भूल को सुधार लिया जाएगा। वहीं, रावत ने ईवीएम की हैकिंग के बारे में उठने वाले संदेहों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि ईवीएम पर संदेह जताने वालों को चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए आंक़डों और दस्तावेजी सबूतों का अध्ययन करने के बाद कोई बात कहनी चाहिए। उन्होंने इसके साथ ही जो़डा कि अगर अब भी ईवीएम के खिलाफ कोई विश्वसनीय शिकायत दर्ज की जाती है तो चुनाव आयोग इस पर गंभीरता से विचार करेगा। अगर वोटिंग मशीनों में वाकई किसी प्रकार की ग़डब़डी पाई जाती है तो इसे सुधारने का भी हर संभव जतन किया जाएगा।
मतदाता सूची को ‘आधार’ से जोड़ने का काम शुरू करने से पहले कोर्ट के फैसले का इंतजार : रावत
मतदाता सूची को ‘आधार’ से जोड़ने का काम शुरू करने से पहले कोर्ट के फैसले का इंतजार : रावत