दक्षिण भारत न्यूज नेटवर्कबेंगलूरु। शहर के देवनहल्ली स्थित सिद्धाचल स्थूलभद्र धाम में आचार्यश्री चन्द्रयशसूरीश्वरजी के ३६वें संयम वर्ष के आलंबन में आयोजित नव्वाणु यात्रा के अंतर्गत रविवार को चिंतामणि पार्श्वनाथ पूजन का आयोजन किया गया जिसमें ब़डी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। पूजन के दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आचार्यश्री चन्द्रयशसूरीश्वरजी व प्रवर्तक कलापूर्णविजयजी ने कहा कि परमात्मा आज भी बोलते हैं बस उनसे बात करने वाला सच्चा भक्त चाहिए। श्रद्धा, समर्पण और विश्वास हो तो परमात्मा का साक्षात्कार संभव है। आचार्यश्री ने कहा कि आज का युग तो पैसे के पीछे जाता है उतना तो परमात्मा का अनुसरण नहीं करता। आचार्यश्री ने कहा कि परमात्मा तो साक्षात चिरंजीवी है परन्तु उस परमपिता परमेश्वर के लिए हमारे पास समय नहीं हैै और जो क्षणभंगुर है अर्थात धन दौलत सम्पत्ति जो एक दिन नाश होने वाली है उसके लिए हम अपने जीवन का बहुमूल्य समय व्यतीत कर देते हैं। आचार्यश्री ने इस बात पर चिंतन करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि जब दुख आते हैं तब हमें परमात्मा की याद आती है। हमारा संबंध परमात्मा से मछली के समान होना चाहिए जिस प्रकार मछली पानी के बिना नहीं रह सकती उसी प्रकार हमें भी परमात्मा के बिना एक पल भी नहीं रहना चाहिए। भक्त की सच्ची पुकार परमात्मा को प्रत्यक्ष होने पर विवश कर देती है। इस मौके पर पन्यासश्री इन्द्रजीतविजयजी म.सा. ने कहा कि आचार्यश्री चन्द्रयशसूरीश्वरजी ने दक्षिण भारत में सिद्धाचल के रुप में साक्षात गिरिराज निर्मित किया है। पन्यासश्री ने सिद्धाचल तीर्थ की नक्काशी व विशालता की सराहना की। प्रवचन के बाद विशेष पूजन का आयोजन किया गया।
‘श्रद्धा, समर्पण और विश्वास हो तो परमात्मा का साक्षात्कार संभव’
‘श्रद्धा, समर्पण और विश्वास हो तो परमात्मा का साक्षात्कार संभव’