कोलीवाड़ से जनता दल-एस के बागियों ने की मुलाकात

कोलीवाड़ से जनता दल-एस के बागियों ने की मुलाकात

बेंगलूरु। जनता दल (एस) के निलंबित बागी विधायकों ने सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष केबी कोलीवा़ड से मुलाकात कर सदन से अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ अपना पक्ष रखा। इन विधायकों में एन चलुवरायस्वामी, बीजेड जमीर अहमद, भीम नाइक, अखंड श्रीनिवासमूर्ति, एचसी बालकृष्णा, इकबाल अन्सारी और रवींद्र बंडीसिद्देगौ़डा शामिल थे। जनता दल (एस) ने इनके खिलाफ पिछले राज्यसभा चुनाव में पार्टी ह्विप के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए इन्हें विधानसभा की सदस्यता के अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की थी। आज इन विधायकों ने अपने-अपने वकीलों के साथ विधानसभा में कोलीवा़ड के कक्ष में जाकर उनसे मुलाकात की। विधानसभा अध्यक्ष को जनता दल (एस) की ओर से शिकायत करने वालों में से एक बीबी निंगैयम ने दलील दी कि बागी विधायकों ने वर्ष २०१२ के राज्यसभा चुनाव में पार्टी ह्विप की अनदेखी करते हुए जनता दल (एस) के उम्मीदवार वीएम फारूक के खिलाफ मतदान किया था। इस मामले में इन विधायकों के खिलाफ दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। इन विधायकों के समर्थन से कांग्रेस के राज्यसभा प्रत्याशी और पूर्व आईपीएस अधिकारी केएस राममूर्ति को चुनावी जीत हासिल हुई थी। कांग्रेस ने उन्हें अपने तीसरे राज्यसभा उम्मीदवार के तौर पर सामने किया था। निंगैयम ने दावा किया कि इन बागियों की विधानसभा सदस्यता तत्काल रद्द की जानी चाहिए ताकि इन्हें २३ मार्च को प्रस्तावित राज्यसभा चुनाव के दौरान मतदान करने का मौका न मिल सके। उल्लेखनीय है कि इन बागियों के रुख की वजह से पिछले राज्यसभा चुनाव हार चुके वीएम फारूकी को जनता दल (एस) ने इस बार भी अपना प्रत्याशी घोषित किया है। हालांकि पार्टी के पास उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए विधानसभा में आवश्यक संख्याबल नहीं है लेकिन इसके बावजूद पार्टी राज्यसभा चुनाव में अपनी ताकत आजमाने से पीछे नहीं होना चाहती। इस चुनाव में किसी भी पार्टी के एक प्रत्याशी को जीत दिलाने के लिए ४४ विधायकों की जरूरत होगी। वहीं, जनता दल (एस) के पास इस समय सिर्फ ३७ विधायकों की ताकत है। इसे अपना एक प्रत्याशी जिताने के लिए सात और विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी। कांग्रेस ने फारूकी को अपना समर्थन देने से इन्कार करते हुए विधानसभा से अपने तीसरे प्रत्याशी के रूप में चंद्रशेखर को मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस अपने विधायकों की संख्या के दम पर सिर्फ दो प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित कर सकेगी।

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