भाजपा को लोकतांत्रिक मूल्यों पर यकीन नहीं : खरगे

भाजपा को लोकतांत्रिक मूल्यों पर यकीन नहीं : खरगे

कलबुर्गी/दक्षिण भारतलोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर यकीन नहीं है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण यह है कि नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों के अविश्वास प्रस्ताव को लाने ही नहीं दिया गया। हाल में हुए संसद के ठप्प होने के लिए उन्होंने भाजपा को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि अविश्वास प्रस्ताव, पंजाब नेशनल बैंक घोटाले और राफल सौदे में किए गए घोटालों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को दबाने के लिए भाजपा ने खुद ही संसद में हंगामा करवाया, जिससे संसद ठप्प हुई।’’विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर भाजपा खुद ही नहीं चाहती कि संसद में बहस हो, क्योंकि इससे देश के सामने उसकी पोल खुल जाती। हम अचानक ही अविश्वास प्रस्ताव नहीं लेकर आए थे। पीएनबी घोटाले, राफल सौदे में घोटाला, किसान आत्महत्या तथा उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान समेत अन्य राज्यों में चल रहे दलितों पर अत्याचार जैसे गंभीर मुद्दों को उठाने के लिए लोकसभा में हम बार-बार स्थगन प्रस्ताव देते रहे।’’यहां तक कि हमने अल्पकालीन सूचना के तह किए वाले समय में भी सवाल उठाए। बिना किसी उचित कारण के उन सबको जब खारिज किया जाता रहा, तब हम लोकसभा के ८० सदस्यों का समर्थन लेकर अविश्वास प्रस्ताव के लिए आगे ब़ढे। उसे भी लोकसभा अध्यक्ष ने खारिज कर दिया।’’ खरगे ने आगे कहा कि संसद में ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा चलने से भाजपा की पोल खुल जाएगी। कर्नाटक चुनाव के मद्देनजर भाजपा नहीं चाहती कि उसकी छवि पर कोई आंच आए। इसीलिए उसने एनडीए के दलों के जरिए हंगामा मचवाया और संसद ठप्प किया। और इसी कारण अविश्वास प्रस्ताव को खारिज भी किया। यह बहुमत की तानाशाही है।’’ कठुवा, उन्नाव और सूरत आदि में हुए बलात्कार कांडों के खिलाफ लोगों के गुस्से को देखते हुए १२ साल की उम्र से नीचे की बच्चियों के साथ बलात्कार करनेवालों को मृत्युदंड देनेवाले कानून का स्वागत करते हुए खरगे ने कहा कि भाजपा नेतृत्ववाली एनडीए सरकार दलितों के हितों की रक्षा के लिए इस तरह के अध्यादेश लाने में कोई दिलचस्पी नहीं रखती है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार विरोधी) कानून के महत्वपूर्ण धाराओं को कमजोर करनेवाला फैसला करती है, तब भाजपा सरकार को चाहिए था कि वह इस दलित विरोधी फैसले को पलटने के लिए एक अध्यादेश लाती।

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