बेंगलूरु/दक्षिण भारतसुप्रीम कोर्ट द्वारा शबरीमलै मंदिर में रजस्वला उम्र वाली महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दिए जाने के बाद पिछले तीन दिनों से वहां जारी विरोध प्रदर्शनों का पूर्ण समर्थन न करने के बाद भी ’’परंपराओं के सम्मान’’ की बात कहने वाले मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश सिर झुकाकर स्वीकार करने की नसीहत दी है। शुक्रवार को ट्वीट में सिद्दरामैया ने कहा, ’’हम सभी भारतीय नागरिकों को देश में न्याय के सर्वोच्च मंदिर के निर्णय को पूर्णत: स्वीकार करना चाहिए। अदालत ने भारतीय संविधान की भावनाओं के अनुरूप शबरीमलै मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी है। इसके आदेश का हर हालत में पालन किया जाना चाहिए।’’ उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने गुरुवार को यहां पत्रकारों से बाचतीत में कहा था, ’’मंदिर में हजारों वर्षों से चली आ रही परंपरा और इसके रीति-रिवाज का संरक्षण किया जाना चाहिए। इन परंपराओं के उल्लंघन से समाज में संघर्ष के हालात बने हैं।’’ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि यह उनकी निजी राय है, न कि वह मुख्यमंत्री के रूप में यह बात कह रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने इस मामले में आज जिस नजरिये की बात की, उसे केरल की कांग्रेस इकाई ने भी नहीं स्वीकारा है। कांग्रेस वहां २८ सितंबर को जारी किए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विरोध कर रही है। उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने शबरीमलै विवाद पर अपने अंतिम आदेश में कहा था कि इस मंदिर के गर्भ गृह में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए। अब तक १० से ५० वर्ष तक की उम्र वाली महिलाओं को शबरीमलै मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं है। कोर्ट ने इसे भारतीय संविधान की धारा २५ के खिलाफ माना, जिसमें हर भारतीय नागरिक को अपने चुने हुए धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता दी गई है। हालांकि केरल की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को लागू करवाने की बात कही थी लेकिन यह आदेश जारी होने के बाद बुधवार को पहली बार इस मंदिर के कपाट खुलने के बावजूद तीन दिनों में कोई भी महिला पत्रकार या श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकी हैं। उल्लेखनीय है कि केरल का समूचा पत्तनमतिट्टा जिले को, जहां शबरीमलै मंदिर स्थित है, पिछले तीन दिनों से अदालत के आदेश का विरोध करने वालों ने एक प्रकार की युद्धभूमि में तब्दील कर रखा है। महिलाओं को स्वामी अय्यप्पा के मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति देना उनके लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य है। अपनी परंपरा बरकरार रखने के लिए यह प्रदर्शनकारी मंदिर की ओर जानेवाले प्रमुख रास्ते पर जमे हुए हैं और मंदिर जाने का प्रयास करनेवाली महिलाओं को जबरन वापस कर रहे हैं। महिला पत्रकारों को भी सघन पुलिस सुरक्षा में मंदिर के अंदर जाने में सफलता नहीं मिली है। कानून-व्यवस्था पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन को पूरे इलाके में धारा १४४ के तहत निषेधाज्ञा लागू करनी प़डी है। पुलिस ने अय्यप्पा धर्मसेना के नेता राहुल ईश्वर और अय्यप्पा मंदिर के मुख्य पुजारी के परिवार के सदस्यों को गिरफ्तार कर १४ दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है, ताकि उनके इशारे पर शबरीमलै मंदिर के ईद-गिर्द किसी प्रकार की अव्यवस्था उत्पन्न न हो सके और न ही किसी अप्रिय घटना को अंजाम दिया जा सके।
शबरीमलै मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश सिर झुकाकर स्वीकार करें : सिद्दरामैया
शबरीमलै मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश सिर झुकाकर स्वीकार करें : सिद्दरामैया