श्रीलंका की अदालत ने किया मानवाधिकार का उल्लंघन : स्टालिन

श्रीलंका की अदालत ने किया मानवाधिकार का उल्लंघन : स्टालिन

चेन्नई/दक्षिण भारतद्रवि़ड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) अध्यक्ष एमके स्टालिन ने मंगलवार को श्रीलंका की एक अदालत द्वारा भारतीय मछुआरों पर भारी जुर्माना लगाने पर कहा है कि मछुआरों पर इतना भारी जुर्माना लगाना मानवाधिकार का उल्लंघन है। इसी वर्ष ८ अगस्त को ६ भारतीय मछुआरों को श्रीलंका की नौसेना द्वारा अंतरराष्ट्रीय जल सीमा का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इन्हीं छह मछुआरों पर श्रीलंका की एक अदालत द्वारा प्रत्येक व्यक्ति पर ६० लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। यह सभी मछुआरे तूतीकोरीन जिले के रहने वाले हैं।स्टालिन ने कहा कि श्रीलंका सरकार की ओर से दिया गया यह आदेश हैरान करने वाला है। द्रमुक अध्यक्ष ने कहा कि न सिर्फ सभी गरीब भारतीय मछुआरों पर ६० लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है उन्हें तीन महीने सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई है। उन्होंने कहा कि यद्यपि श्रीलंका को हम एक मित्र देश समझते हैं लेकिन इसने भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार कर हमारे पीठ पर वार किया है।स्टालिन ने कहा कि एक ओर राज्य के गरीब मछुआरों के खिलाफ द्वीप राष्ट्र की एक अदालत द्वारा हमारे मछुआरों के खिलाफ इस प्रकार का अन्यायपूर्ण आदेश दिया गया है इसके बावजूद भी न तो केन्द्र की भाजपा सरकार की ओर से कुछ भी कहा गया है और न ही राज्य की सत्तारुढ अन्नाद्रमुक द्वारा कुछ बोला गया है। हाल ही में श्रीलंका की संसद द्वारा भारतीय मछुआरों पर भारी जुर्माना लगाने के लिए सर्वसम्मति से विधेयक पारित किया गया है।स्टालिन ने कहा कि केन्द्र सरकार को श्रीलंका सरकार से बात करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी मछुआरे वापस तूतीकोरीन लौट सकेंं। स्टालिन ने कहा कि श्रीलंका और भारतीय मछुआरा संघ के बीच हुई बैठक और इस संबंध में दोनों राष्ट्रों के बीच हुए बातचीत के बाद केन्द्र सरकार की ओर से यह आश्वासन दिया गया था कि अब भारतीय मछुआरों पर श्रीलंका की नौसेना द्वारा किया जाने वाला अत्याचार कम होगा लेकिन मौजूदा स्थिति ठीक इससे उलटा है और केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार को ऐसा माहौल तैयार करना चाहिए जिससे राज्य के मछुआरे समुद्री क्षेत्र में बिना किसी डर के मछली पक़डने का अपना कार्य कर सकें।

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