तिरुवनंतपुरम/भाषा। केरल की एक अदालत ने सोमवार को कहा कि केरल के पूर्व पुलिस महानिदेशक सिबी मैथ्यूज की अग्रिम जमानत याचिका को लेकर किसी फैसले पर पहुंचने से पहले 1994 के जासूसी मामले के ‘पीड़ितों’ – इसरो को पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन और उस समय गिरफ्तार किए गए मालदीव के दो नागरिकों- का पक्ष भी सुना जाएगा।
इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन की 1994 के जासूसी मामले में गिरफ्तारी और हिरासत के सिलसिले में सीबीआई ने मैथ्यूज और 17 अन्य पुलिस वालों के खिलाफ आपराधिक साजिश और अपहरण तथा साक्ष्यों से छेड़छाड़ के आरोप में भारतीय दंड विधान के तहत मामला दर्ज किया था। मैथ्यूज ने इस मामले में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की है।
मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंस से सुनवाई कर रहे प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश पी कृष्णकुमार ने कहा, ‘उन्हें (नारायणन और दो महिलाओं को) सुना जाए। उन्हें सुना जाएगा। पीड़ितों के वकीलों को प्रतिवेदन की इजाजत दी जाती है।’ न्यायाधीश ने इस निर्देश के साथ मामले में सुनवाई की अगली तारीख 14 जुलाई तय की है।
मैथ्यूज ने नारायणन और दो महिलाओं – मरियम रशीदा और फौजिया हसन- के अभियोग आवेदन पर आपत्ति जताई थी। तीनों ने अपनी याचिका में मैथ्यूज को किसी भी तरह की राहत दिए जाने का विरोध किया है। उन्होंने इस आधार पर अग्रिम जमानत का विरोध किया है कि मैथ्यूज उस विशेष जांच दल (एसआईटी) का नेतृत्व कर रहे थे जिसने उन्हें गिरफ्तार किया था और कथित तौर पर हिरासत में उनके साथ हिंसा की गई थी।
अपनी अग्रिम जमानत याचिका में मैथ्यूज ने दावा किया था कि उनपर और केरल पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों पर जासूसी मामले में नारायणन की गिरफ्तारी के लिए खुफिया ब्यूरो (आईबी) द्वारा दबाव डाला गया था।