कोयंबटूर/दक्षिण भारत। कोरोना महामारी के दौरान कावेरी कॉलिंग ने तमिलनाडु और कर्नाटक में किसानों को रिकॉर्ड 2.1 करोड़ पौधे लगाने में सक्षम बनाया। कावेरी कॉलिंग के समन्वयक तमिलमारन ने कोयंबटूर प्रेस क्लब में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दोनों राज्यों के 1,25,000 किसानों ने अपनी भूमि पर वृक्ष आधारित खेती को अपनाया है।
उन्होंने कहा कि ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु द्वारा 2019 में कावेरी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए जागरूकता पैदा करने और आम सहमति बनाने के वास्ते मोटरसाइकिल रैली के बेहद सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। तमिलनाडु और कर्नाटक के किसानों ने वृक्ष आधारित में रुचि दिखानी शुरू की है।
इसके अलावा, कावेरी कॉलिंग आंदोलन के क्षेत्र के स्वयंसेवक दोनों राज्यों के नदी बेसिन जिलों में गांव-गांव जाकर किसानों को पेड़ लगाने के आर्थिक और पारिस्थितिक लाभों के बारे में शिक्षित करते रहे हैं।
तमिलमारन ने कहा कि कावेरी कॉलिंग स्वयंसेवक उपयुक्त पौधों की सिफारिश करने से पहले मिट्टी के गुणों और सिंचाई सुविधाओं का अध्ययन करने के लिए पेड़ आधारित खेती में रुचि व्यक्त करने वालों के खेतों का दौरा करते हैं। उन्होंने कहा कि सफल मॉडल फार्म के परिसर में किसानों को मॉडल अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते विशेष फील्ड प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि अन्य जमीनी गतिविधियों में थिरु नम्माझवार अय्या, थिरु नेल जयरामन और थिरु मरम थंगासामी जैसे प्रमुख कृषिविदों की साल गिरह और विशेष दिनों को यादगार बनाने के लिए पौधारोपण अभियान शामिल हैं।
इस अभियान ने गांधी जयंती और वन महोत्सव जैसे राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाने वाले दिनों सहित प्रत्येक अवसर पर एक लाख से अधिक पौधे लगाने में सक्षम बनाया है। पूरे तमिलनाडु में 650 खेतों में जागरूकता कार्यक्रम और पौधारोपण कार्यक्रम भी आयोजित किए गए हैं।
तमिलमारन ने कहा कि कावेरी कॉलिंग आंदोलन सहित विभिन्न ईशा पर्यावरण परियोजनाओं के माध्यम से अब तक कुल 6.2 करोड़ पौधे लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में संचालित 32 ईशा नर्सरी मांग की आपूर्ति के लिए प्राकृतिक तरीकों से पौधे तैयार करती हैं। अपनी नर्सरी शुरू करने के इच्छुक लोगों के लिए प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किए जाते हैं।
तमिलमारन ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी पहुंच को व्यापक बनाने के लिए आंदोलन के ऑनलाइन प्रयासों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रयास में करीब 20 लाख स्वयंसेवक शामिल हैं। उनकी गतिविधियों में 128 वॉट्सऐप किसान ग्रुप्स को मैनेज करना शामिल है। इसके माध्यम से सटीक और प्रासंगिक जानकारी का प्रसार किया जाता है।
हर महीने सोशल मीडिया के माध्यम से 4 लाख किसानों को विभिन्न सरकारी योजनाओं और कृषि वानिकी कार्यक्रमों की जानकारी मिलती है। उन्होंने कहा कि 890 ग्रामीण युवाओं को किसानों से सीधे संवाद करने का काम सौंपा गया है।
कोयंबटूर के एक किसान वल्लुवन ने कहा, नारियल के पेड़ों के बीच पेड़ लगाने से मेरे खेत में मिट्टी की उर्वरता बढ़ी है। भूजल स्तर में वृद्धि हुई है और पानी की मांग में कमी आई है। उपज और उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
किसान वंजीमुथु ने कहा, मैंने कावेरी कॉलिंग आंदोलन की गतिविधियों के बारे में सुना और दो साल पहले पौधे लगाए। अब पेड़ अच्छी तरह से विकसित हो गए हैं।
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